राजनीति

एक देश एक चुनाव’ की तैयारी तेज, मोदी सरकार इस सत्र में बिल को पेश कर सकती है

लखनऊ 9 दिसंबर :प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार संसद के इस सत्र के दौरान ‘एक देश, एक चुनाव’ विधेयक पेश कर सकती है. इस बिल को विस्तृत चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजा जा सकता है. एक देश, एक चुनाव पर रामनाथ कोविंद समिति की रिपोर्ट को कैबिनेट से पहले ही मंजूरी मिल चुकी है! सरकार चाहती है कि इस बिल पर आम सहमति बने और सभी हितधारकों से विस्तृत चर्चा होनी चाहिए. जेपीसी सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से चर्चा करेगी. साथ ही, सभी राज्य विधानसभाओं के अध्यक्षों को भी बुलाया जा सकता है. इसके अलावा देश भर के बुद्धिजीवियों और आम लोगों की राय भी ली जाएगी। एक देश एक चुनाव के फायदे, इसे संचालित करने के तरीकों पर विस्तार से चर्चा होगी. सरकार को उम्मीद है कि इस बिल पर आम सहमति बन जाएगी। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई बनी समिति ने 62 राजनीतिक पार्टियों से संपर्क किया था. इनमें से 32 ने एक देश, एक चुनाव का समर्थन किया था. जबकि, 15 पार्टियां इसके विरोध में थीं. 15 ऐसी पार्टियां थीं जिन्होंने कोई जवाब नहीं दिया था। ‘एक देश, एक चुनाव’ मोदी सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है। 2024 के लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र में भी बीजेपी ने इसका जिक्र किया था और वादा किया था कि कमेटी की सिफारिशों को लागू करने पर काम किया जाएगा। इसी साल 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी ने एक देश, एक चुनाव के लिए सभी से आगे आने की अपील की थी. तब प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, ‘देश में बार-बार चुनाव, देश की प्रगति में रुकावट बन रहे हैं, गतिरोध पैदा कर रहे हैं. आज कोई भी योजना को चुनाव के साथ जोड़ देना आसान हो गया है, क्योंकि हर तीन महीने, छह महीने में कहीं न कहीं चुनाव चल रहा है। एक देश, एक चुनाव के लिए सबसे पहले सरकार को बिल लाना होगा. चूंकि ये बिल संविधान संशोधन करेंगे, इसके लिए ये तभी पास होंगे, जब इन्हें संसद के दो तिहाई सदस्यों का समर्थन मिलेगा. यानी, लोकसभा में इस बिल को पास कराने के लिए कम से कम 362 और राज्यसभा के लिए 163 सदस्यों का समर्थन जरूरी होगा. संसद से पास होने के बाद इस बिल को कम से कम 15 राज्यों की विधानसभा का अनुमोदन भी जरूरी होगा. यानी, 15 राज्यों की विधानसभा से भी इस बिल को पास करवाना जरूरी है. इसके बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्ष के बाद ही ये बिल कानून बन सकेंगे।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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