केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने आरपी गौतम को बनाया अपना दल का प्रदेशाध्यक्ष, दलित वोट बैंक पर नजर

लखनऊ 29 मई :उत्तर प्रदेश में आगामी 2027 विधानसभा चुनावों की तैयारी अब गर्माने लगी है। एनडीए की प्रमुख घटक ‘अपना दल (एस)’ ने संगठनात्मक मोर्चे पर एक बड़ा और साहसिक कदम उठाते हुए पार्टी की कमान अब जाटव नेता आरपी गौतम को सौंप दी है। प्रदेश अध्यक्ष के रूप में उनके नाम की आधिकारिक घोषणा पार्टी ने कर दी है, जिससे पार्टी के अंदर नए जोश की लहर दौड़ गई है।
अपना दल (एस) के इस बदलाव को 2027 विधानसभा चुनाव की रणनीतिक तैयारी के रूप में देखा जा रहा है। बीते दिनों पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार पाल के इस्तीफे के बाद यह पद खाली चल रहा था। अब पार्टी सुप्रीमो और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने इस रिक्त स्थान को भरते हुए जाटव समुदाय के वरिष्ठ नेता आरपी गौतम को नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त कर एक बड़ा राजनीतिक संकेत दे दिया है।
गौरतलब है कि अपना दल (एस) के पूर्व अध्यक्ष राजकुमार पाल ने मई के पहले सप्ताह में न केवल अपने पद से, बल्कि पार्टी से भी इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने यह आरोप लगाया था कि पार्टी नेतृत्व ने उनकी उपेक्षा की और संगठन अब अपनी मूल विचारधारा से भटक गया है। राजकुमार पाल के इस फैसले के बाद से संगठन में अस्थिरता की स्थिति बन गई थी। इसी कड़ी में अब 29 मई को नई नियुक्ति की औपचारिक घोषणा की गई है।
पार्टी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की संस्तुति पर और पार्टी अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल की स्वीकृति के बाद जाटव आरपी गौतम को अपना दल (एस) का उत्तर प्रदेश प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। वर्तमान में वे पार्टी के सहकारिता मंच के अध्यक्ष भी थे और लंबे समय से संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे। उनकी नियुक्ति को लेकर पार्टी के अंदरूनी हलकों में काफी समय से चर्चा थी। वरिष्ठ नेता संजीव सिंह राठौर ने कहा कि जाटव आरपी गौतम जमीन से जुड़े नेता हैं और उन्होंने पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत करने में सक्रिय भूमिका निभाई है। यही वजह है कि अब उन्हें यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है।
अपना दल (एस) के लिए यह नियुक्ति केवल आंतरिक संगठनात्मक सुधार नहीं है, बल्कि इसे सामाजिक समीकरण साधने के प्रयास के तौर पर भी देखा जा रहा है। जाटव समाज उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा और प्रभावशाली वोट बैंक है। ऐसे में आरपी गौतम को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर पार्टी ने इस वर्ग को साधने की रणनीति पर भी काम शुरू कर दिया है। जैसे-जैसे पंचायत चुनाव 2026 की ओर बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे यह साफ हो रहा है कि पार्टी अब इन चुनावों को विधानसभा चुनावों से पहले का सेमीफाइनल मान रही है। जाटव आरपी गौतम के कंधों पर अब संगठन को एकजुट रखने, नए कार्यकर्ताओं को जोड़ने और पंचायत चुनावों में दमदार प्रदर्शन करने की जिम्मेदारी है।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, अपना दल (एस) इन चुनावों में अकेले ही मैदान में उतरने की तैयारी में है। ऐसे में नेतृत्व की कुशलता, संगठन क्षमता और जातिगत समीकरणों का संतुलन ही सफलता की कुंजी बनेगा। आरपी गौतम को नेतृत्व सौंपकर पार्टी ने ना सिर्फ नेतृत्व परिवर्तन किया है, बल्कि एक संदेश भी दिया है कि पार्टी अब सामाजिक न्याय और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व को प्राथमिकता देने जा रही है। पार्टी कार्यकर्ताओं और आरपी गौतम के समर्थकों में इस निर्णय को लेकर खुशी की लहर है। उन्हें विश्वास है कि नए प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में पार्टी आगामी चुनावों में पहले से बेहतर प्रदर्शन करेगी।
अपना दल (एस) की यह नियुक्ति इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह निर्णय ऐसे समय लिया गया है जब एनडीए में छोटे दलों की भूमिका को लेकर चर्चाएं तेज हैं। केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल इस समीकरण को साधते हुए अपनी पार्टी को निर्णायक भूमिका में लाना चाहती हैं। कुल मिलाकर, जाटव आरपी गौतम की ताजपोशी केवल एक नियुक्ति नहीं, बल्कि 2027 विधानसभा चुनाव में पार्टी की रणनीति और सामाजिक संतुलन का हिस्सा है। अब देखना होगा कि वे इस बड़ी जिम्मेदारी पर कितनी सफलतापूर्वक खरे उतरते हैं।