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गोरखनाथ मंदिर में श्रद्धा और आस्था का महासंगम, खिचड़ी चढ़ाने के लिए श्रद्धालुओं का उमड़ा जनसैलाब 

गोरखपुर 14 जनवरी :उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा को त्रेतायुग की परंपराओं से जोड़कर जनता को इस धार्मिक अनुष्ठान का महत्व बताया. मकर संक्रांति के अवसर पर गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व भी रखती है. आइए जानते हैं इस परंपरा का इतिहास और इससे जुड़ी मान्यताएं.

*कैसे शुरू हुई खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा?*

पौराणिक कथाओं के अनुसार, गुरु गोरखनाथ त्रेतायुग में एक महान योगी और तपस्वी थे. उनकी साधना के दौरान एक बार एक भक्त ने उनके लिए भोजन के रूप में खिचड़ी अर्पित की. गोरखनाथ जी ने इसे प्रसाद के रूप में स्वीकार किया और आशीर्वाद दिया. तब से खिचड़ी को गोरखनाथ जी का प्रिय भोग माना जाता है. मकर संक्रांति पर गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा उत्तर भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है. इस दिन सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होता है. देशभर से भक्त गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने के लिए आते हैं. लोग चावल, दाल, और अन्य सामग्री लेकर मंदिर पहुंचते हैं. खिचड़ी को मंदिर में चढ़ाने के बाद इसे प्रसाद के रूप में भक्तों में बांटा जाता है.

योगी आदित्यनाथ ने इस परंपरा को त्रेतायुग से जोड़ते हुए कहा कि ये भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म का समृद्ध इतिहास है. ये परंपरा हमें अपनी जड़ों और ऋषि-मुनियों की तपस्या की याद दिलाती है. गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने की यह परंपरा जाति, धर्म और सामाजिक भेदभाव को समाप्त कर लोगों को एकता के सूत्र में पिरोती है. गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने से भक्तों को गुरु गोरखनाथ जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है. माना जाता है कि इससे जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का आगमन होता है.

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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