नए क़ानून में अब ब्रेकअप किया तो जाना पड़ेगा जेल! जानें क्या है आपराधिक कानून का सेक्शन 69
नई दिल्ली 18 जुलाई :1 जुलाई 2024 से भारत में आपराधिक कानूनों में एक बड़ा बदलाव आया है। भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860 को भारतीय न्याय संहिता (BNS) ने बदल दिया है। नए कानून में कई महत्वपूर्ण संशोधन किए गए हैं, जिनमें से एक प्रमुख संशोधन BNS की धारा 69 है।
इस धारा में शादी या नौकरी का झूठा वादा करके शारीरिक संबंध बनाने को अपराध घोषित किया गया है। हालांकि, कानून के जानकार और विशेषज्ञ इस धारा पर सवाल उठा रहे हैं, जिससे कानून की कार्यक्षमता और संभावित समस्याओं पर बहस छिड़ गई है।
BNS की धारा 69 क्या है?
भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 69 में शादी का झूठा वादा कर शारीरिक संबंध बनाने को एक अपराध के रूप में परिभाषित किया गया है। इसके तहत अगर कोई व्यक्ति शादी का वादा करके और बाद में उसे पूरा किए बिना यौन संबंध बनाता है, तो उसे 10 साल तक की कैद की सजा हो सकती है। यह प्रावधान विशेषकर उन महिलाओं के हित में है, जिन्हें शादी के लिए धोखा दिया गया है या शादी के नाम पर शारीरिक संबंध बनाए गए हैं।
धारा 69 के अनुसार, “जो कोई भी व्यक्ति छल कपट या शादी का झूठा वादा करके किसी महिला के साथ यौन संबंध बनाता है, और उसकी शादी करने की कोई नियत नहीं होती है, वह बलात्कार की श्रेणी में नहीं आता है, परंतु ऐसे व्यक्ति को दस साल तक की कैद की सजा हो सकती है। इसके साथ ही, उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।”
इस धारा में “छलपूर्ण कृत्य” की परिभाषा में रोजगार या पदोन्नति के लिए झूठे वादे करना, पहचान छिपाकर शादी करना, आदि शामिल हैं।
IPC में क्या प्रावधान था?
पारंपरिक भारतीय दंड संहिता (IPC) में ऐसे मामलों के लिए कोई विशेष धारा नहीं थी। इस प्रकार के मामलों को धारा 375 (बलात्कार की धारा) के तहत रखा जाता था, और धारा 376 के अनुसार सजा दी जाती थी। यानी, जब बलात्कार की स्थिति होती थी, तब इस धारा का प्रयोग होता था। अब, BNS के तहत, बलात्कार की परिभाषा से अलग इस मामले को धारा 69 के तहत अपराध माना जाएगा।
क्यों उठ रहे सवाल?
कानूनी विशेषज्ञों और न्यायाधीशों का कहना है कि BNS की धारा 69 में कई जटिलताएं और समस्याएँ हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि अदालत में किसी व्यक्ति के शादी करने के इरादे को साबित करना कितना कठिन होगा। कोई व्यक्ति यदि झूठा वादा करके शारीरिक संबंध बनाता है, तो इसे साबित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। कानून के विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी रिश्ते का टूटना कई कारणों से हो सकता है, और इस स्थिति में यह साबित करना मुश्किल होगा कि व्यक्ति शादी करने का इच्छुक था लेकिन किसी कारणवश शादी नहीं हो पाई।
राज्यसभा सदस्य और एडवोकेट विवेक तन्खा ने Deccan Herald में लिखा कि इस प्रावधान से शिकायतों की बाढ़ आ सकती है। अब हर ब्रेकअप के बाद महिला साथी के द्वारा शिकायत दर्ज कराने का जोखिम रहेगा, जो एक नई कानूनी चुनौती को जन्म देगा। उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया में कहीं भी ऐसा प्रावधान नहीं है जो इस प्रकार की शिकायतों के लिए दरवाजा खोलता हो।
एडवोकेट आदर्श तिवारी का कहना है कि पहले IPC के सेक्शन 375 में बलात्कार की पूरी परिभाषा दी गई थी, और अगर कोई मामला उस दायरे में आता था, तो ही बलात्कार माना जाता था। अब BNS में, आरोपी को यह साबित करना होगा कि उसने झूठा वादा किया और उसका वादा निभाने का इरादा नहीं था, और शारीरिक संबंध सहमति से बनाए गए थे, जिसे कंसेंट नहीं माना जाएगा। इससे संबंधित तीन महत्वपूर्ण बिंदुओं के आधार पर आरोपी को सजा मिल सकती है।
BNS की धारा 69 के संभावित प्रभाव
BNS की धारा 69 के लागू होने से कानूनी प्रक्रिया में कई बदलाव हो सकते हैं। इस धारा के तहत, झूठे वादों और छल के मामलों में कठोर सजा का प्रावधान है, जो निश्चित रूप से महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करेगा। लेकिन, इस धारा के संभावित दुरुपयोग को लेकर भी चिंताएँ हैं। झूठी शिकायतों और अनुचित आरोपों के चलते आरोपी की बेगुनाही साबित करने की प्रक्रिया कठिन हो सकती है।