राहुल गांधी ने अमेठी छोड़ी , रायबरेली से नामांकन किया दाखिल
लखनऊ 3 मई :नामांकन के आखिरी कुछ घंटे पहले यह साफ हो गया है कि राहुल गांधी अमेठी से चुनाव नहीं लड़ेंगे. वह रायबरेली सीट से चुनाव लड़ेंगे. कांग्रेस ने आधिकारिक सूची जारी करने के कुछ ही घंटे बाद उन्होंने अपना नामांकन भी दाखिल कर दिया. अमेठी से कांग्रेस ने सोनिया गांधी के प्रतिनिधि केएल शर्मा को टिकट दिया है. राहुल गांधी के अमेठी सीट छोड़ने के बाद चर्चाओं का बाजार गर्म है कि आखिर क्या वजह रहीं जिसके चलते उनको रायबरेली कूच करना पड़ा.
2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को अमेठी में हार का सामना करना पड़ा था. बीजेपी की स्मृति ईरानी ने उनको शिकस्त दी थी. तब वह केरल की वायनाड सीट से सांसद बने थे. इस बार भी उन्होंने वायनाड से पर्चा दाखिल किया है. कांग्रेस प्रत्याशियों की पहली लिस्ट में उनका नाम शामिल था लेकिन अमेठी लोकसभा सीट से उनके चुनाव लड़ने पर आखिरी समय तक सस्पेंस बरकरार रहा और आखिरी में उन्होंने अमेठी की बजाय रायबरेली सीट को चुना.
राहुल गांधी के अमेठी से चुनाव न लड़ने की एक वजह कांग्रेस का अमेठी में घटता जनाधार माना जा रहा है. चुनाव दर चुनाव कांग्रेस के वोट बैंक में गिरावट होती गई. नतीजन 2019 में कांग्रेस का गढ़ कही जाने वाली अमेठी में पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा. 2004 लोकसभआ चुनाव में कांग्रेस को 76.20 फीसदी वोट मिले थे जबकि बीजेपी का वोट शेयर 4.40 प्रतिशत था. लेकिन इसके बाद यह दरकरना शुरू हो गया, 2009 में कांग्रेस का वोट शेयर करीब 5 फीसदी गिरा.
2014 में कांग्रेस का जनाधार 71.78 फीसदी से गिरकर 46.71 फीसदी पर आ गया. वहीं मोदी लहर में बीजेपी ने बड़ी सेंधमारी करते हुए वोट शेयर को 5.81 प्रतिशत से सीधा 34.38 फीसदी पर पहुंचा दिया. इसके बाद 2019 में कांग्रेस को महज 43.84 फीसदी वोट मिले. जबकि बीजेपी करीब 50 फीसदी वोट शेयर के करीब पहुंच गई. नतीजन कांग्रेस को यह सीट गंवानी पड़ी. बीते लोकसभा चुनाव में यूपी में केवल एक सीट रायबरेली कांग्रेस के खाते में गई थी. यहां से सोनिया गांधी जीती थीं. राहुल गांधी की राह यहां भी आसान नहीं रहेगी. अमेठी की तरह ही रायबरेली में भी कांग्रेस की विनिंग मार्जिन चुनाव दर चुनाव कम होता गया है. 2006 के चुनाव में कांग्रेस का वोट प्रतिशत 80 फीसदी के करीब था, जो 2019 के चुनाव में घटकर 55.80 फीसदी पर सिमट चुका है.
अमेठी छोड़ने का क्या होगा नुकसान?
सियासी जानकारों की मानें तो राहुल गांधी के अमेठी छोड़ने से संदेश जाएगा कि कांग्रेस नेता ने अपनी परंपरागत सीट छोड़ दी. यह भी कहा जाएगा कि अगर पार्टी का सबसे मजबूत दावेदार ही सेफ सीट की तलाश कर रहा है तो अन्य नेताओं के बीच क्या संदेश जाएगा. भाजपा ने अमेठी लोकसभा सीट पर स्मृति ईरानी का नाम पहले ही चरण में कर दिया था.
वहीं 26 अप्रैल को वायनाड लोकसभा सीट पर भी मतदान पूरा हो गया था. ऐसे में अगर किशोरी लाल शर्मा को ही अमेठी से चुनाव लड़ाना था तो उन्हें कम से कम एक हफ्ते का पर्याप्त मौका दे देते चुनाव प्रचार के लिए. रायबरेली लोकसभा सीट पर भी 26 अप्रैल के बाद राहुल के नामांकन की घोषणा हो जाती तो कार्यकर्ताओं के बीच भी बेहतर माहौल बनता, जबकि लगातार उनके अमेठी से लड़ने की चर्चा होती रही. लेकिन ऐन वक्त में नामांकन के महज कुछ घंटों पहले अमेठी छोड़ रायबरेली जाना उल्टा दांव साबित हो सकता है.