विद्युत विभाग:अधिकारी कंही उत्पीडन,काम के दबाव में तो नही छोड़ रहे नौकरी:दर्जनभर से अधिक ने कर रखा है VRS आवेदन:5 मुख्य और 1 अधीक्षण अभियंता ने लिया VRS

वाराणसी 1 फ़रवरी:ऊर्जा विभाग में पिछले 2-3 वर्षों से अभियन्ता/अधिकारी में स्वैच्छिक सेवा निवृति का चलन देखने को मिल रहा है पिछले कई वर्षी में दर्जनों अभियंताओ/अधिकारियों ने VRS के तहत नौकरी छोड़ चुके है। वहीँ दूसरी तरफ ऊर्जा विभाग में हजारों पद रिक्त वर्षो से नही भरे गये है।
निजीकरण की कवायद और काम के दबाव में नौकरी छोड़ रहे हैं बिजली विभाग के अभियंता
फ़रवरी-2025 में पांच मुख्य अभियंताओं और एक अधीक्षण अभियंता की स्वैच्छिक सेवानिवृत्त आवेदन को स्वीकृत मिल गई है। अलग-अलग निगमों के दर्जनभर अन्य अभियंताओं ने भी आवेदन कर रखा है। स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले अभियंताओं ने आवेदन में घरेलू, पारिवारिक और स्वास्थ्य का हवाला दिया है, लेकिन हकीकत अलग बताई जा रही है।
खास बात यह है कि वीआरएस लेने वालों में तीन मुख्य अभियंता पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के हैं।वाराणसी क्षेत्र प्रथम के मुख्य अभियंता संदीप बंसल, वाराणसी क्षेत्र द्वितीय में कार्यरत मुख्य अभियंता (वितरण) मुकेश कुमार गर्ग, प्रयागराज में कार्यरत मुख्य अभियंता शीश पाल सिंह और अधीक्षण अभियंता वकार अहमद ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली।
पश्चिमांचल मुख्यालय से संबद्ध मुख्य अभियंता (विद्युत एवं यांत्रिक) अजय कुमार ने भी वीआरएस ले लिया है, जबकि इसी निगम के मुख्य अभियंता (वाणिज्य प्रथम) रविंद्र कुमार बंसल के आवेदन को भी स्वीकृति देते हुए 28 फरवरी को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की बात कही गई है।
निजीकरण भी हो सकती है एक वजह
वीआरएस लेने वाले मुख्य अभियंताओं ने आवेदन में पारिवारिक और स्वास्थ्य से जुड़ा मसला बताया है, लेकिन हकीकत में वे निजीकरण और कार्य के दबाव को देखते हुए वीआरएस ले रहे हैं निजीकरण हुआ तो उनके कार्यक्षेत्र में बदलाव य होना तय है। दूसरी तरफ काम का दबाव बढ़ता जा रहा है। निजीकरण के बाद वीआरएस लेना पड़े, इससे बेहतर है कि पहले से ही इस रास्ते को अपना लें।
देखना लाज़मी होगा कि आने वाली गर्मी में प्रदेश की विद्युत व्यवस्था सुचारू रहे इसके लिए ऊर्जा प्रबंधन इतनी बड़ी संख्या में अधिकारियों की कमी को कैसे पूरा करता है।