विद्युत विभाग:”””खेल”””निगम मुख्यालय से आजाद को भ्र्ष्टाचार की खुली आजादी:एक रूप तीन स्वरूप वाले अधीक्षण अभियंता
वाराणासी 01 सितंबर: ”“””पूर्वान्चल की काली दाल””””भ्रष्टाचार की तीन मुह,एक रूप तीन स्वरूप””””पूर्वान्चल निगम में भ्रष्टाचार की काली दाल में मुख्यमंत्री के क्षेत्र गोरखपुर के कार्य मंडल में व्याप्त भ्रष्टाचार वर्षो से चल रहा है जहाँ एक ओर भ्रष्टाचार पर चेयरमैन की फटकार पर 15 मार्च को गोरखपुर कार्य मण्डल के अधीक्षण अभियंता कमलेश चंद आजाद को हटाने का आदेश किया पर डिस्काम द्वारा चेयरमैन के आदेश को दरकिनार कर अधीक्षण अभियंता को डिस्काम मुख्यालय से सम्बद्ध कर,पद विस्तारण का इनाम देते हुए गोरखपुर विद्युत कार्य मण्डल एवं वाराणसी कार्य मण्डल का अतरिक्त कार्यभार दे दिया।
सरकार की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति पूर्वांचग निगम में हुई जीरो
जबकी डिस्काम मुख्यालय से गोरखपुर की दूरी लगभग 300 किलोमीटर है।
खाता न बही जो आजाद करें वही सही
इसी कहावत को चरित्रार्थ करते खास तौर पर कमलेश चंद आजाद गोरखपुर में सुर्खिया बटोर रहे है जिसका जीता जगता उदाहरण गोरखपुर कार्य मण्डल में मौजूद टेंडर फाइले आजाद द्वारा किये गए भ्र्ष्टाचार की कहानी चीख चीख कर बोल रही है,
आश्चर्य की बात है मुख्यमंत्री के क्षेत्र में इतने बड़े पैमाने के भ्र्ष्टाचार के बावजूद पूर्वांचल के मुखिया के साथ साथ समूचा प्रबंधन चेयरमैन के आदेशों के विरुद्ध आजाद को खुलेआम भ्र्ष्टाचार को अंजाम देने की खुली छुट क्यों दे रहा है?
टेंडर में आजाद के पेटेंट ठेकेदार और नियम विरुद्ध टेंडर का होता है खेल
सूत्र बताते है की गोरखपुर कार्य मण्डल में निगम की छत्रछाया में मिली आजादी पर आजाद बे खोप होकर टेंडर करते है और कार्य मण्डल से होने वाली निविदा एक मात्र अपने चहेते ठेकेदारों को देते है इतना ही नही नियम विरुद्ध कार्य मण्डल के होने वाली निविदाओ में UPPCL की गाइड लाइनों को दर किनार कर ठेकेदारों के माध्यम से भ्र्ष्टाचार को बेहतर अंजाम देने की नियत से निविदा की शर्तो को अपनी मर्जी से बदलते रहते है जिसका प्रमाण विभागीय निविदा की शर्तो में देखा जा सकता है पर आश्चर्य की बात है कि इतने बड़े पैमाने के भ्र्ष्टाचार को डिस्काम की निविदा की कमेटी कैसे और क्यू पास करती है यह एक गंभीर सवाल है।