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विद्युत विभाग:पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल के निजीकरण से जूनियर इंजीनियर एवं विद्युत कर्मियों की नौकरी जाना तय ,समायोजन की स्थिती भयावाह-JE संगठन

वाराणसी/लखनऊ 2 दिसंबर:राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन (उत्तर प्रदेश) के केंद्रीय अध्यक्ष इं0 गोपाल वल्लभ पटेल ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण के पश्चात कॉर्पोरेशन में कार्यरत जूनियर इंजीनियर एवं अन्य विद्युत कर्मियों की नौकरी जाना लगभग तय हैं। इस संबंध में यूपीपीसीएल प्रबंधन द्वारा समायोजन के लिए बताया जा रहा रोडमैप सरप्लस हो रहे कार्मिकों के सापेक्ष ना काफी है।

राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन ने उत्तर प्रदेश उत्तर प्रदेश, पावर कॉरपोरेशन द्वारा कार्मिकों के समायोजन संबंधी वक्तव्य को सच्चाई से परे बताया

ज्ञातव्य है कि उपरोक्त दोनों डिस्कॉम के निजीकरण से वहां कार्यरत 1016 अभियंता, 2154 जूनियर इंजीनियर एवं 23816 टेक्नीशियन लिपिक एवं अन्य कर्मचारी अन्यत्र समायोजन करना होगा जिनकी आधी संख्या भी यूपीपीसीएल के शेष डिस्कॉम मध्यांचल,पश्चिमांचल एवं केस्को में समायोजित नहीं हो पाएगी। कार्पोरेशन प्रबंधन द्वारा उत्पादन निगम के एनटीपीसी तथा नवेली लिग्नाइट के साथ निर्मित संयुक्त उपक्रम की परियोजनाओं में जूनियर इंजीनियर,अभियंता एवं कार्मिकों को समायोजन की बात की जा रही है,जो कि उचित नहीं है।

एनटीपीसी एवं नवेली लिग्नाइट संयुक्त उपक्रमों की परियोजनाओं में प्रतिनियुक्ति हेतु रिक्तियां एवं समय दोनों अत्यंत अल्प

संगठन द्वारा बताया गया की वर्तमान में एनटीपीसी के साथ संयुक्त उपक्रम में अनपरा ई 1600 मेगावाट, ओबरा डी 1600 मेगावाट, मेजा प्रयागराज 1980 मेगावाट, तथा नवेली लिग्नाइट के साथ संयुक्त उपक्रम में घाटमपुर परियोजना 1980 मेगावाट स्थापित अथवा निर्माणाधीन है। यानि कुल 7160 मेगावाट की परियोजनाएं संयुक्त उपक्रम में स्थापित हैं। संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष इं०गोपाल वल्लभ पटेल ने बताया की एनटीपीसी में (एग्जीक्यूटिव एवं नॉन एक्जीक्यूटिव) को मिलाकर 0.5 प्रति मेगावाट नियमित मैनपॉवर तैनाती का मानक है।उक्तानुसार संयुक्त उपक्रम में 7160 मेगावाट स्थापित क्षमता के सापेक्ष कुल लगभग 3600 कार्मिकों की आवश्यकता है जिसमें 50% यानी 1600 कार्मिक एनटीपीसी के होंगे तथा अधिकतम 50% यानी मात्र 1600 कार्मिक अन्य निगमो से प्रतिनयुक्ति पर मात्र तीन वर्ष की अवधि के लिए तैनात किए जा सकते हैं।
अतः दोनों डिस्कामो के निजीकरण से सरप्लस हुए लगभग 25972 कार्मिकों के सापेक्ष संयुक्त उपक्रमों में उपलब्ध अधिकतम 1600 पदों पर मात्र तीन वर्षों की सेवा को विकल्प के तौर पर प्रस्तुत किया जाना समझ से परे है। इन परिस्थितियों में जूनियर इंजीनियर एवं प्रोन्नत अभियंताओं की छंटनी /नौकरी से निकाला जाना, पदावनती इत्यादि की कार्यवाही तय है, जिससे उनके तथा उनके परिवार के समक्ष बेरोजगारी एवं भुखमरी का संकट उत्पन्न होगा। इसे किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जा सकता।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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