विद्युत विभाग:प्रदेश में 15 से 20 प्रतिशत तक महंगी हो सकती है बिजली:मौजूदा दरों से बिजली कंपनियों को 13,000 करोड़ के घाटे का अनुमान:नियामक आयोग के पाले में गेंद
वाराणसी/लखनऊ 3 दिसंबर:बिजली विभाग को घाटे में होने के कारण प्रदेश के ऊर्जा निगमों को निजीकरण की योजना के बाद मौजूदा दरों से बिजली कंपनियों को 13,000 करोड़ के घाटे का अनुमान लगते हुए अब महंगी बिजली का तगड़ा झटका लग सकता है।
बिजली कंपनियों ने अगले वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए शनिवार देर रात उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में तकरीबन 1.16 लाख करोड़ रुपये का एआरआर (वार्षिक राजस्व आवाश्यकता) प्रस्ताव दाखिल कर दिया। आयोग क़ो सौंपे गए मसौदे में बिजली की मौजूदा दरें ही लागू रहने की स्थिति में लगभग 13 हजार करोड़ का राजस्व घाटा दिखाया गया है। हालांकि, घाटे की भरपाई के लिए कंपनियों की ओर से बिजली दर बढ़ाने संबंधी टैरिफ प्रस्ताव आयोग में दाखिल नहीं किया गया है। ऐसे में कंपनियों के राजस्व गैप को देखते हुए आयोग पांच वर्ष बाद बिजली की दरों में औसतन 15 से 20 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी करने को हरी झंडी दे सकता है। आयोग के आदेश पर बढ़ी हुई दरें अगले वर्ष पहली अप्रैल से लागू होंगी। नियमानुसार अगले वित्तीय वर्ष के लिए बिजली कंपनियों का एआरआर प्रस्ताव 30 नवंबर तक आयोग में दाखिल हो जाना चाहिए। ऐसे में पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने
पांच वर्ष से नहीं बढ़ी हैं दरें, कंपनियों ने आयोग में गुपचुप तरीके से दाखिल किया एआरआर प्रस्ताव घाटे की भरपाई को दरों में बढ़ोतरी आयोग पर छोड़ी, कंपनियों ने नहीं दाखिल किया है टैरिफ प्रस्ताव*
सभी बिजली कंपनियों का एआरआर प्रस्ताव शनिवार देर रात गुपचुप तरीके से आयोग को सौंप दिया। जानकारों के मुताबिक वर्ष 2023-24 का टू-अप और वित्तीय वर्ष 2025 26 के लिए कंपनियों का 1.16 लाख करोड़ का एआरआर प्रस्ताव आयोग में दाखिल किया गया है। प्रस्ताव में रिवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम के तहत 13.25 प्रतिशत वितरण हानियों का अनुमान लगाते हुए लगभग 1.60 लाख मिलियन यूनिट बिजली की आवश्यकता बताई है।
33,122 करोड़ सरप्लस होने से घटे बिजली की दर : उपभोक्ता परिषद
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि जब बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का 33, 122 करोड़ रुपये सरप्लस निकल रहा था तब फिर 13 हजार करोड़ रुपये का राजस्व गैप होने के बावजूद कंपनियों को बिजली की दरों में कमी का प्रस्ताव देना चाहिए था। वर्मा ने दावा किया कि सरप्लस होने के कारण परिषद के दखल से पिछले पांच वर्षों से आयोग ने बिजली की दरों को बढ़ाने का निर्णय नहीं किया। परिषद अध्यक्ष ने बताया कि मंगलवार को वह नियामक आयोग में कंपनियों के वार्षिक राजस्व आवश्यकता के खिलाफ, विरोध प्रस्ताव दाखिलकर इस बार भी बिजली की दरें नहीं बढ़ने देंगे। उन्होंने एआरआर में 42 जिलों वाले दक्षिणांचल व पूर्वांचल डिस्काम के निजीकरण संबंधी पीपीपी माडल का जिक्र न किए जाने पर भी सवाल उठाया। आरोप है कि निजीकरण संबंधी जानकारी आयोग को न देकर बिजली दरों में जबरदस्त बढ़ोतरी का रास्ता साफ कर बिजली कंपनियां निजी घरानों को फायदा पहुंचाना चाहती हैं