विद्युत विभाग:फर्जी वेतन घोटाला:शम्भू ने दूध की रखवाली बिल्ली को सौंपी:विभाग को वित्तीय चपत पर नही बनाई अभी तक उच्चस्तरीय जांच समिति:उपस्थिति का है सारा खेल
वाराणासी 2 अक्टूबर:विभाग को 10 वर्षो से लग रही लाखो की वित्तीय चपत पर पूर्वांचल प्रबंध निदेशक,शम्भू कुमार आईएएस ने अभी तक नही बनाई उच्चस्तरीय जांच समिति।
वेतन घोटाले में विभाग को लगी 30 लाख से ज्यादा की चपत,
वेतन घोटाले में चौकीदार ही चोर,
वेतन घोटाले का मुख्य यंत्र/अस्त्र उपस्थिति
मंडल औऱ डिवीज़नो में है नियमित कर्मचारियों का उपस्थिति रजिस्टर पर कंप्यूटर ऑपरेटरों का क्यो नही?
फर्म के द्वारा किसी भी कंप्यूटर ऑपरेटर की नियुक्ति नही है जिसकी प्रतिमाह उपस्थिति विभाग ने दी उसको फर्म करती वेतन भुगतान
फर्जी वेतन घोटाले में विद्युत वितरण मंडल ग्रामीण कार्यालय के टेंडर लिपिको,बड़े बाबू लिपिक , DDO अधिषासी अभियन्ता (टेस्ट) एव रोकड़िया(टेस्ट) की मिलीभगत से 10 वर्षो से फर्जी वेतन घोटाले को अंजाम दिए जाने के तार जुड़ते नज़र आ रहे है।
पूर्व में DDO ग्रामीण मंडल,तत्कालीन DDOअभियन्ता(टेस्ट), रोकड़िया(टेस्ट), मंडल का टेंडर बाबू औऱ मंडल के बड़े बाबू एवं मंडल का रोकड़िया की मिलीभगत से होता वेतन घोटाला:पूरा मंडल कार्यालय षड्यंत्र में शामिल।
सूत्रों तो बता रहे है कि मुख्य अभियंता कार्यालय तक को इसकी ख़बर रही परंतु घोटाले में चौकीदारों के चोर होने औऱ सभी की मौन सहमति से वेतन घोटाले को निरंतरता मिलती गई।
नये DDO महेंद्र मिश्रा ने तोड़ी वेतन घोटाले की निरंतरता,
नये आहरण वितरण अधिकार(DDO) के लेटर से खुलता पोल,
नही बानी उच्चस्तरीय जांच समिति,
उपभोक्ता की आवाज के द्वारा दिनांक-30 सितंबर को वेतन घोटाले का खुलासा करने के बाद पूर्वांचल के मुखिया ने विभाग को लाखो की वित्तीय चपत लगने पर उच्चस्तरीय जांच समिति अभी तक नही बनाई अपितु वेतन घोटाले की जांच घोटाले में शामिल षड्यंत्रकारी को ही सौंप दी जिस पर 2 दिनों से वेतन घोटाले में मंडल औऱ वितरण खंडों को वेतन घोटाले में कहानी गढ़ने का मौका मिला।
एक झूठ को छुपाने में सौ झूठ बोलने से खुलती पोल,
DDO की चिट्ठी से उपभोक्ता की आवाज की खबर की सत्यता पर लगी मोहर
वेतन घोटाले को छुपाने के लिए प्रबंध निदेशक द्वारा मिली समय की छूट औऱ नये DDO महेंद्र मिश्रा की चिट्ठी से उपभोक्ता की आवाज़ की वेतन घोटाले की खबर पर लगी मोहर।
मुखिया जी अपने DDO की चिट्ठी की ही जांच करवा लें बाकी तो उपभोक्ता की आवाज की पड़ताल जारी है
DDO महेंद्र मिश्रा ने दिनांक-30 सितंबर को अधीक्षण अभियंता को चिट्ठी लिखी जिसका विषय”””उपभोक्ता की आवाज में प्रकाशित खबर के संबंध में””” कि विद्युत वितरण मंडल- वाराणासी के द्वारा 27 नग कंप्यूटर ऑपरेटर के अनुबंध संख्या द्वारा मंडल के अधीन विद्युत वितरण खंड-प्रथम में 6 नग एवं विद्युत वितरण खंड-द्वितीय में 7 नग एवं विद्युत वितरण खंड-चिरईगांव में 6 नग एव विद्युत परीक्षण खंड-वाराणासी में 5 नग एवं विद्युत वितरण मंडल,वाराणासी में 3 नग कंप्यूटर ऑपरेटर नियोजित किये गये हैं।
DDO ने यह भी चिट्ठी में लिखा है कि जुलाई में 27 नग कंप्यूटर ऑपरेटर कार्यरत पाये गये है। अगस्त माह में 26 कंप्यूटर ऑपरेटर कार्य करते पाये गये है।
DDO ने चिट्टी में यह भी लिखा है कि सभी का उपस्थिति विवरण फर्म को माह के अंतिम सप्ताह में भेज दिया गया हैं जांच में वेतन आहरण संबंधी कोई भी अनिमितता पाई गई है।
जब की DDO की चिट्ठी के विपरीत MD से विद्युत वितरण मंडल में 4 कंप्यूटर ऑपरेटर का अनुमोदन,विद्युत वितरण खंड- बरईपुर में 4,विद्युत वितरण खंड-प्रथम सिगरा में 4 औऱ विद्युत वितरण खंड-चिरईगांव में 4 कंप्यूटर ऑपरेटरों का अनुमोदन होता रहा। पिछले 3-4 वर्षों में वितरण खंडों में नये बने उपखंडों के बाद से 20 कम्प्यूटर ऑपरेटरो से बढ़ कर हुआ 27 कंप्यूटर ऑपरेटरों का लिया जाता रहा अनुमोदन।
प्रत्यक्ष सबूत नये DDO की चिट्ठी
प्रबंध निदेशक शम्भू कुमार,आईएएस अब इसकी जांच करावे कि विद्युत वितरण मंडल में 4 और विद्युत परीक्षण खंड में 4 का आवश्यकता अनुसार अनुमोदन लिया गया तो DDO चिट्टी में मंडल में 3 और टेस्ट में 5 क्यों लिख रहे है। औऱ अगस्त में 26 कार्यरत थे तो वो 27 वं कौन है फ़रार ज्ञात रहे नये DDO ने वेतन घोटाले को जुलाई-24 में पकड़ा।
बाकी सबूत उपभोक्ता की आवाज अपनी खबर में उपलब्ध कराता रहेगा।
फर्जी सबूतों को गढ़ने की तैयारी:वेतन घोटाले की बड़ी मछलियों ने संभाला मोर्चा
सूत्र बता रहे है कि वेतन घोटाले में नये DDO पर तत्कालीन औऱ वर्तमान के षड्यंत्रकरी दबाव बना रहे है। षड्यंत्रकरी मामले के खुलासे पर प्रबंधन के द्वारा मिले समय के सदुपयोग में फर्जी सबूतों को गढ़ने की तैयारी में लगे है।
पड़ताल पार्ट -1
प्रबंध निदेशक,शम्भू कुमार,आईएएस को सबूतों की पहली किस्त,
वेतन घोटाले में बड़ा षड्यंत्र:मोटा कमीशन लेकर शुरू करवाया गया 10 वर्ष पहले वेतन घोटाला
ई० टेंडरिंग में जेम पोर्टल आ जाने से पहले से होता आ रहा वेतन घोटाला। मंडल कार्यालय की मिलीभगत से ई० टेंडरिंग से पहले बगैर जरूरी कागज़ात के एक ही फार्म ओम इंटरप्राइजेज, वाराणासी को वर्षो से मिलता रहा टेंडर,फार्म का मालिक मनीष मिश्रा खुद बना मंडल कार्यालय का कंप्यूटर ऑपरेटर। यहीं से सुरू हुआ वेतन घोटाला। मनीष मिश्रा फर्म मालिक कम कंप्यूटर ऑपरेटर ज्यादा ने मंड़ल के सभी अध8अधिकारियों/कर्मचारियों को खुश रखते हुए सुरू किया वेतन घोटाला। टेंडर के अनुसार प्रति माह उसका बिल पास होता रहा जबकी कंप्यूटर ऑपरेटर की आपूर्ति कम थी। मंडल में ही कार्य मापन पुस्तिका में खेला होता रहा। ई० टेंडरिंग से पहले मंडल ही DDO आहरण वितरण अधिकारी था।
ई० टेंडरिंग आ जाने के बाद ओम इंटरप्राइजेज को जरूरी कागजात न होने पर नही मिला टेंडर। ई०टेंडर में पहली बार जिस फर्म को टेंडर मिला उसके कार्यादेश में मंडल द्वारा एक शर्त रख दी कि जो कंप्यूटर ऑपरेटर पहले से काम कर रहे है वे करते रहेंगे। ओम इंटरप्राइजेज के मालिक मनीष मिश्रा के द्वारा नियुक्त कंप्यूटर ऑपरेटर औऱ मनीष मिश्र ही पुनः जमे रहे। नई फर्म को कुछ नही पता कौन कार्य कर रहा है। मंडल के टेंडर बाबू द्वारा फर्म को सूची भेज दी जाती रही कि ये कंप्यूटर ऑपरेटर कार्य पर है। फर्म मंडल DDO के द्वारा भेजी गई उपस्थिति सूची के अनुसार कंप्यूटर ऑपरेटरों को वेतन का भुगतान करता रहा औऱ मंडल में बिल लगा कर अपना भुगतान कराता रहा। ई० टेंडरिंग में फर्मे बदलती रही पर मनीष मिश्रा के साथ उसके आदमियों के नाम फर्मो को जाता रहा। जिनकी उपस्थिति का कोई रिकार्ड नही है न ही उपस्थिति रजिस्टर है।
आज ताज अनुबंध की शर्तों के अनुसार फर्म द्वार किसी की भी नियुक्ति नही की गई,कंप्यूटर ऑपरेटरों को फर्म के द्वारा नियुक्ति पत्र नही दिया गया न ही आई०डी० कार्ड दिया गया।
मंडल औऱ डिवीज़नो में है नियमित कर्मचारियों का उपस्थिति रजिस्टर पर कंप्यूटर ऑपरेटरों का क्यो नही?
षड्यंत्र के तहत कंप्यूटर ऑपरेटरों की नही होती रोजाना हाज़िरी। किसी भी कंप्यूटर ऑपरेटर के पास नही है फर्म का नियुक्ति पत्र औऱ पहचान पत्र। बड़ा सवाल फर्म का न इंटरव्यू न नियुक्ति पत्र, किसके आदेश पर रखे गये कंप्यूटर ऑपरेटर? कैसे वर्षो से जमे है वही कंप्यूटर ऑपरेटर? विभाग से किस अधिकारी/कर्मचारी द्वारा फर्मो को कंप्यूटर ऑपरेटरों के भेजे जाते नाम?
अनुमोदन औऱ उपस्थिति के नाम पर होता वेतन घोटाला: नही होती कंप्यूटर ऑपरेटरों की उपस्थिति दर्ज
विद्युत वितरण मंडल में अनुमोदन 4 तो उपस्थिति 3 दिखाई जा रही हैं विद्युत परीक्षण खंड-वाराणासी में अनुमोदन 4 तो उपस्थिति 5 की दिखाई जा रही है। मंडल कार्यालय के कंप्यूटर ऑपरेटर कभी कार्यालय आते ही नही है पर महीने के अंत मे DDO को उपस्थिति भेज कर वेतन उठाया जा रहा है।
बड़ा सवाल
विद्युत वितरण मंडल से होता वेतन घोटाले का खेल
मंडल से कंप्यूटर ऑपरेटर की होने वाली प्रतिवर्ष निविदा में कई फर्म बदली पर कंप्यूटर ऑपरेटर वही कार्य करते आ रहे है। बीच मे कुछ कंप्यूटर ऑपरेटर बदले गये पर उनको निकालने/बदलने की वजह औऱ उनकी जगह रखें गये नये कंप्यूटर ऑपरेटरो की प्रक्रिया किसने की? कैसे की? कब की?
पड़ताल जारी है………
भ्रष्टाचार के विरुद्ध युद्ध अभी शेष है