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विद्युत विभाग:बिजली के निजीकरण का मामला फिर पहुँचा माननीय उच्च न्यायालय में:उपभोक्ता संरक्षण उत्थान समिति ने दाख़िल की PIL:वर्ष-2020 की PIL का आदेश है आधार

वाराणसी 12 फरवरी:उपभोक्ता संरक्षण उत्थान समिति,वाराणसी की जनहित याचिका (पीआईएल) संख्या – 1218 वर्ष 2020 द्वारा 5 शहरों के निजीकरण के लिए शुरू की गई कार्यवाही को रद्द करने के लिए दायर की गई PIL में निजीकरण की प्रक्रिया रद्द करने औऱ कंपनी की परिसंपत्तियों की जांच या ऑडिट केन्द्रीय सतर्कता आयोग जैसी स्वतंत्र एजेंसी या किसी न्यायिक अधिकारी की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा कराने की भी प्रार्थना की थी।
सरकार/प्रबंधन की ओर से उक्त PIL में शपथ-पत्र दाख़िल कर कहा गया था कि कंपनी को किसी निजी संस्था को हस्तांतरित करने का प्रस्ताव पहले ही वापस ले लिया गया है और वर्तमान में ऐसा कोई मुद्दा विचाराधीन नहीं है। कंपनी के हस्तांतरण की कार्यवाही बिल्कुल भी प्रचलन में नहीं है। यह भी कहा गया था कि कंपनी अधिनियम की धारा 139 के प्रावधानों के अनुसार, कंपनी की परिसंपत्तियों और अन्य सभी मुद्दों की ऑडिट करने के लिए विशेष लेखा परीक्षक की नियुक्ति पहले ही की जा चुकी है।
माननीय उच्च न्यायालय द्वारा प्रतिवादी/कंपनी/सरकार की ओर से दिए गए कथन/शपथ-पत्र के आलोक में रिट याचिका का निपटारा वर्ष-2020 किया था।

पूरे प्रदेश के साथ देश भर के कर्मचारी है निजीकरण का कर रहे विरोध

उल्लेखनीय है कि एक बार फिर सरकार/प्रबंधन द्वारा इस बार पूर्वान्चल औऱ दक्षिणांचल निगमो के निजीकरण की ओर कदम बढ़ाने के विरोध में सयुक्त कर्मचारी संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश का लगभग 2 माह से विरोध सभाएं औऱ जागरूकता अभियानजारी है। बिजली के निजीकरण के विरोध में प्रदेश के 21-22 श्रम संगठनो द्वारा भी संघर्ष समिति का समर्थन की घोषणा की औऱ लखनऊ में एक विशाल सयुक्त बिजली पंचयात की इसके बाद भी प्रबंधन अपने कर्मचारियों को भरोसे में न लेकर इकतरफा निजीकरण करने पर उतारू है अभी तक प्रबंधन ने संघर्ष समिति से कोई सकारात्मक बातचीत नही की गई है।

वर्ष-2020 की PIL के आदेश के अनुपालन की कार्यवाही भी प्रबंधन ने नही की

प्रदेश औऱ देश में बिजली निजीकरण के विरोध एवं सरकार/प्रबंधन की निजीकरण करने की हठधर्मिता के कारण औऱ उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए उपभोक्ता संरक्षण उत्थान समिति,वाराणसी द्वारा पुनः पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के प्रस्तावित निजीकरण को रद्द करने सहित पांच बिंदुओं पर माननीय उच्च न्यायालय में PIL दाख़िल की।
उपभोक्ता संरक्षण उत्थान समिति,वाराणासी द्वारा दो वितरण कंपनियों को बचाने एवं अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओ में प्रमुख से सार्वजनिक निजी भागीदारी पीपीपी को सक्षम करने के लिए लेनदेन सलाहकार सेवाएं प्रदान करने में उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड की सहायता के लिए सलाहकार हेतु निकाले गए निविदा आमंत्रण को निरस्त करने एवं दो स्वायत्त वितरण कंपनियां पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के संबंध में राज्य सरकार/उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लखनऊ के निदेशक मंडल द्वारा शुरू की गई निजीकरण की संपूर्ण कार्यवाही को भी रद्द करने एवं इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कंपनी की परिसंपत्तियों की आडिट से संबंधित मूल अभिलेखों को संबंधित प्राधिकारी द्वारा की गई कार्यवाही की स्थिति रिपोर्ट के साथ पेश करने की मांग की गई है। जिसे उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा की जा सके और वे बिना किसी बाधा के सबसे कम शुल्क पर बिजली का उपयोग कर सकें।

आईएएसओ की अवैध नियुक्तियों पर सवाल

PIL में मांग की गई है कि राज्य सरकार के संबंधित प्राधिकारी को कंपनी के प्रबंध निदेशकों के चयन के संबंध में उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन और उसकी सहायक कंपनियों के संस्था के ज्ञापन और अनुच्छेद के तहत प्रदान किए गए प्रावधानों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए आदेश या निर्देश जारी करने ताकि कंपनी के सक्षम अधिकारियों जिनके पास प्रबंध निदेशक के रूप में नियुक्त होने के लिए अपेक्षित योग्यताएं हो,को कंपनी अधिनियम के अंतर्गत गठित चयन समिति द्वारा की गई सिफारिश के अनुसार नियुक्त किया जा सके।

भ्रष्टाचार की जांच CBI से कराने की मांग

समिति ने PIL में मांग की है कि केंद्रीय सतर्कता आयोग या सी०बी०आई जैसी स्वतंत्र एजेंसी को निर्देश या आदेश जारी करने ताकि वह कंपनी के प्रबंध निदेशकों के रूप में अवैध रूप से नियुक्त होकर आईएएस अधिकारियों या अन्य भ्रष्ट अधिकारियों या कर्मचारियों द्वारा की गए अवैध कार्यों के संबंध में निष्पक्ष जांच कर सके।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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