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विद्युत विभाग:बौखलाए चेयरमैन की बेकाबू तबादला एक्सप्रेस के विरोध में 16 जून को विरोध प्रदर्शन होगा औऱ शाम 4 से बजे नियामक आयोग पर मौन प्रदर्शन

लखनऊ 15 जून:संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि शांतिपूर्वक 200 दिन से लगातार निजीकरण के विरोध में आंदोलनरत बिजली कर्मियों के आंदोलन से बौखलाए पॉवर कारपोरेशन के अध्यक्ष ने हजारों बिजली कर्मचारियों को बिना किसी नीति के प्रदेश के एक कोने से दूसरे कोने में स्थानांतरित कर दिया है।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने निजीकरण के प्रकरण में विद्युत नियामक आयोग की अवैधानिक कार्यवाही के विरोध में 16 जून को नियामक आयोग पर मौन विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन द्वारा मनमाने ढंग से किए गए हजारों स्थानांतरण के विरोध में 16 जून को प्रान्त भर में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
16 जून को नियामक आयोग पर सायं 04 बजे मौन विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के पदाधिकारियों ने बताया कि पता चला है कि 13 जून को विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष से पॉवर कारपोरेशन के अध्यक्ष तथा निदेशक वित्त निधि नारंग ने अवैध ढंग से नियुक्त किए गए ट्रांजैक्शन कंसलटेंट ग्रांट थॉर्टन के साथ गुपचुप लम्बी बैठक की है। इस बैठक में ग्रांट थॉर्टन ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के आर एफ पी डॉक्यूमेंट विद्युत आयोग के अध्यक्ष के सामने प्रस्तुत किए। पता चला है कि विद्युत नियामक आयोग इस आर एफ पी डॉक्यूमेंट पर अपना अभिमत देने वाला है।
संघर्ष समिति ने इस पर एतराज व्यक्त करते हुए कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण हेतु ग्रांट थॉर्टन की ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट के लिए की गई नियुक्ति पूरी तरह अवैध है। यह जानकारी विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष को थी इसके बावजूद उन्होंने इस कंसल्टेंट को प्रस्तुतीकरण करने दिया।
संघर्ष समिति का आपत्ति का एक अन्य मुख्य बिन्दु यह है कि विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष श्री अरविंद कुमार 2020 में पॉवर कारपोरेशन के अध्यक्ष पद पर थे। श्री अरविंद कुमार ने पावर कारपोरेशन का अध्यक्ष रहते हुए 6 अक्टूबर 2020 को संघर्ष समिति के साथ एक लिखित समझौता किया है जिसमें यह कहा गया है कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण नहीं किया जाएगा और भविष्य में उत्तर प्रदेश के ऊर्जा क्षेत्र में कोई भी निजीकरण बिजली कर्मचारियों को विश्वास में लिए बिना नहीं किया जाएगा। इस समझौते पर  अरविंद कुमार के स्वयं के हस्ताक्षर हैं।
इसके बाद पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम या दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के आर एफ पी डॉक्यूमेंट पर अभिमत देने का श्री अरविंद कुमार को कोई नैतिक अधिकार नहीं है।
संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि भीषण गर्मी में इतने बड़े पैमाने पर प्रदेश के एक कोने से दूसरे कोने में हजारों कर्मचारियों का स्थानांतरण कर पॉवर कारपोरेशन के अध्यक्ष प्रदेश की बिजली व्यवस्था को ध्वस्त करने पर तुले हैं।
मनमाने ढंग से किए गए हजारों स्थानांतरण के विरोध में संघर्ष समिति ने आह्वान किया है कि 16 जून को प्रदेश के समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर पॉवर कारपोरेशन के इस जन विरोधी कृत्य के विरोध में व्यापक विरोध प्रदर्शन किया जायेगा।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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