विद्युत विभाग:वार्ता के बाद कारपोरेशन के जारी प्रेस नोट भ्रामक-संघर्ष समिति:कल दिया जायेगा जारी प्रेस नोट का बिंदुवार जवाब

लखनऊ/वाराणसी 12 मई:संघर्ष समिति औऱ प्रबंधन के बीच पहले चरण की वार्ता के बाद संघर्ष समिति की प्रेस नोट से ऐसा लगा कि निजीकरण की लड़ाई अब संघर्षविराम की ओर बढ़ती दिखाई दी,
परन्तु संघर्ष समिति की प्रेस नोट जारी होने के कुछ ही घंटों बाद पावर कारपोरेशन द्वारा जारी प्रेस नोट को संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने भ्रामक करार दे दिया जिससे निजीकरण की लड़ाई में संघर्षविराम पर काले बादल मंडराते नज़र आने लगे है।
संघर्ष समिति ने कारपोरेशन के प्रेस नोट जारी होने के बाद पुनः जारी किया प्रेस नोट
पावर कारपोरेशन की ओर से के के सिंह अखिलेश द्वारा जारी किए गए प्रेस नोट को पूरी तरह भ्रामक बताते हुए संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि आज वार्ता के दौरान संघर्ष समिति ने एवरेज कॉस्ट आफ सप्लाई और एवरेज रिवेन्यू रिलाइजेशन के बीच के गैप पर विस्तार से प्रेजेंटेशन किया था और प्रमाणित कर दिया था की महंगी बिजली खरीद और सरकारी विभागों का राजस्व न मिलना इस गैप का मुख्य कारण है। संघर्ष समिति के प्रेजेंटेशन पर प्रबन्धन की ओर से कोई खंडन नहीं किया गया।
बाद में श्री के के सिंह अखिलेश द्वारा जारी किए गए प्रेस नोट में जो भी आंकड़े बताए गए हैं उनकी कोई चर्चा पूरी वार्ता के दौरान प्रबंधन की ओर से हुई ही नहीं। जब ए सी एस और ए आर आर के गैप पर संघर्ष समिति ने अपनी बात रखी तब तो कुछ नहीं कहा गया।
संघर्ष समिति ने कहा कि पॉवर कारपोरेशन की ओर से जारी प्रेस नोट का बिन्दु वार उत्तर कल प्रबंधन को भेज दिया जाएगा।
संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण के बाद की सेवा शर्तों पर भी संघर्ष समिति से आज कोई वार्ता नहीं की गई। जब भी वार्ता की जाएगी संघर्ष समिति, जहां-जहां भी निजीकरण हुआ है, वहां के आंकड़े देकर स्पष्ट कर देगी कि निजीकरण बिजली कर्मियों के हित में नहीं है।
संघर्ष समिति ने कहा कि घाटे की जिम्मेदारी प्रबन्धन की है उसे बिजली कर्मियों पर थोप कर निजीकरण किया जाना प्रदेश के हित में नहीं है।