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विद्युत विभाग:संघर्ष समिति का ट्रांजेक्शन कंसल्टेंट नियुक्त करने हेतु बिडिंग के विरोध में 10 मार्च को शक्ति भवन सहित पूरे प्रदेश में व्यापक विरोध प्रदर्शन

लखनऊ/वाराणसी 9 मार्च:पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण हेतु ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट नियुक्त करने के लिए बिडिंग के विरोध में 10 मार्च को बिजली कर्मी राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश के समस्त जनपदों और परियोजना मुख्यालयों पर व्यापक विरोध प्रदर्शन करेंगे।

संघर्ष समिति के आह्वान पर 10 मार्च को शक्ति भवन मुख्यालय सहित समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर व्यापक विरोध प्रदर्शन करने हेतु आज रणनीति तय की गई। राजधानी लखनऊ में शक्ति भवन मुख्यालय पर निजीकरण हेतु ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट की बीड अपराह्न 3:00 बजे खोली जानी है अतः संघर्ष समिति ने निर्णय लिया है कि अपराह्न 1:00 बजे से शक्ति भवन मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन होग।
संघर्ष समिति ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से अपील की है कि ग्रामीण क्षेत्रों और घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति के मामले में निजी क्षेत्र की विफलता को देखते हुए प्रदेश के 42 जनपदों की बिजली के निजीकरण का निर्णय निरस्त करने की कृपा करें।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने आज यहां कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की बिजली व्यवस्था निजी घरानों को सौंपने के पहले सरकार को यह विचार करना चाहिए कि उत्तर प्रदेश में ग्रेटर नोएडा और आगरा में निजी कंपनी द्वारा किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति में किए जा रहे भेदभाव को देखते हुए प्रदेश के 42 जनपदों में बिजली के निजीकरण का निर्णय कदापि उचित नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि जहां एक और प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्री अरविंद कुमार शर्मा जी ग्रेटर नोएडा में और आगरा में निजी घरानों का गुणगान करते हुए थकते नहीं है वहीं दूसरी ओर ग्रेटर नोएडा में ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की आपूर्ति मात्र 10 से 12 घंटे तक हो रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में व्यवधान होने के बाद बिजली आपूर्ति बहाल करने में भी काफी विलंब होता है ।यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि निजी कंपनी मुनाफे के लिए काम करती है और ग्रेटर नोएडा में मुनाफे वाले इंडस्ट्रियल और कमर्शियल उपभोक्ताओं को निजी कंपनी अधिक समय तक बिजली आपूर्ति करती है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में और गरीब घरेलू उपभोक्ताओं के लिए ब्रेकडाउन का समय लंबा होता है। यह सब विद्युत नियामक आयोग के रिकॉर्ड पर है। अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण विषय है कि ऊर्जा मंत्री जी निजी घराने की प्रशंसा कर रहे हैं जबकि उत्तर प्रदेश सरकार ग्रेटर नोएडा में उसका लाइसेंस निरस्त करने के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय में मुकदमा लड़ रही है।
उन्होंने कहा कि जहां तक आगरा का प्रश्न है आगरा की ए टी एंड सी हानियां केस्को की तुलना में अधिक है और प्रति यूनिट राजस्व वसूली केस्को की तुलना में काफी कम है। केस्को से पावर कारपोरेशन को प्रति यूनिट 07 रुपए 96 पैसे मिल रहा है जबकि फ्रेंचाइजी करार के तहत आगरा से पावर कारपोरेशन को प्रति यूनिट 04 रुपए 36 पैसे मिल रहा है। इस प्रकार केस्को से आगरा की तुलना में पावर कारपोरेशन को प्रति यूनिट 03 रुपए अधिक मिल रहा है ।इसी प्रकार केस्को में ए टी एंड सी हानियां 09.82% है जबकि आगरा में ए टी एंड सी हानियां 09.6 % हैं।
उन्होंने कहा कि उपरोक्त आंकड़ों से यह बिल्कुल स्पष्ट है कि निजी क्षेत्र की सफलता को लेकर ऊर्जा मंत्री का वक्तव्य तथ्यों से परे है। ग्रेटर नोएडा में 84% भार इंडस्ट्रियल और कमर्शियल उपभोक्ताओं का है। आगरा एशिया का सबसे बड़ा चमड़ा उद्योग है और आगरा में उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक पांच सितारा होटल है। इसके बावजूद यदि निजी क्षेत्र का परफॉर्मेंस सरकारी क्षेत्र की विद्युत वितरण कंपनी की तुलना में कमतर है तो उत्तर प्रदेश के 42 जनपदों में निजीकरण का यही विफल प्रयोग थोपने का क्या उचित है?

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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