एक झलक

संपत्ति का बंटवारा हो या परिजनों के नाम करना हो,अब 5हजार में आराम से हो जाएगा सेटलमेंट,योगी सरकार जनता को देने जा रही यह बड़ी सुविधा

लखनऊ 8 अगस्त :आमतौर पर वाद विवाद पुरानी संपत्ति को लेकर ही होता है।लोग क‌ई सालों तक कोर्ट कचहरी का चक्कर लगाते रह जाते हैं।कई कत्ल भी हो जाते हैं,अपराध बढ़ने में इस मुद्दे का बहुत योगदान है,लेकिन अब योगी सरकार अपने लोगों को इस परेशानी से छुटकारा दिलाने पर काम कर रही है। योगी सरकार आम आदमी के लिए ईज़ ऑफ़ लिविंग का परिवेश तैयार कर रही है,जिसमें संपत्ति विभाजन और व्यवस्थापन के लिए नई व्यवस्था जल्द ही लागू होने जा रही है। इस व्यवस्था में अब बिना किसी विवाद के पीढ़ियों की संपत्तियों का बंटवारा आसानी से हो सकेगा। इसके अलावा व्यक्ति खुद के जीवित रहते अपनी अचल संपत्ति को अपने परिवार जनों के नाम भी कर सकेगा।

पांच हजार होगा स्टाम्प शुल्क

मात्र पांच हजार रुपये के स्टाम्प शुल्क के साथ आप अपनी अचल संपत्ति को रक्त संबंधियों के नाम करने की बड़ी सहूलियत देने के बाद उत्तर प्रदेश में अब पारिवारिक विभाजन और व्यवस्थापन में भी बड़ी सुविधा मिलने जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिए हैं कि एक परिवार के सदस्यों के बीच अचल संपत्ति के बंटवारे तथा जीवित व्यक्ति द्वारा अपनी संपत्ति को अपने परिवार जनों के नाम किए जाने पर देय स्टाम्प शुल्क भी पांच हजार रुपये तय किया जाए। सीएम ने कहा कि अधिक खर्च के कारण प्रायः परिवार में विभाजन की स्थिति में विवाद की स्थिति बनती है और कोर्ट मुकदमे भी होते हैं। न्यूनतम स्टाम्प शुल्क होने से परिवार के बीच सेटलमेंट आसानी से हो सकेगा।

संपत्ति विभाजन में होगा सरलीकरण

मंगलवार को एक महत्वपूर्ण बैठक में सीएम योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में राज्य सरकार द्वारा आम आदमी के ईज़ ऑफ़ लिविंग के लिए अनेक प्रयास किये गए हैं। संपत्ति विभाजन और व्यवस्थापना प्रक्रिया में सरलीकरण से लोगों को और सुविधा होगी।

यह होता है विभाजन

विभाजन विलेख में सभी पक्षकार विभाजित सम्पत्ति में संयुक्त हिस्सेदार होते हैं और विभाजन उनके मध्य होता है।

विभाजन विलेख में प्रस्तावित छूट एक ही मृतक व्यक्ति के समस्त लीनियल डीसेंडेंट्स,जो सहस्वामी हों,को आच्छादित करेगी।अर्थात यदि दादा की मूल सम्पत्ति में वर्तमान जीवित हिस्सेदार चाचा,भतीजा,भतीजी हैं तो वह इसका उपयोग कर सकते हैं।

यह होता है व्यवस्थापन

वस्थापन विलेख में व्यवस्थापन कर्ता पक्षकार (जीवित) अपनी व्यापक सम्पत्ति को कई पक्षकारों के मध्य निस्तारित करता है।

व्यवस्थापन विलेख में प्रस्तावित छूट के अधीन व्यवस्थापन कर्ता पक्षकार अपने समस्त लीनियल डीसेंडेंट्स/डीसेंडेंट्स, जो किसी भी पीढ़ी के हों, के पक्ष में व्यवस्थापन कर सकता है।अर्थात सम्पत्ति यदि परदादा परदादी जीवित हों, तो उनके पक्ष में,एवं यदि प्रपौत्र,प्रपौत्री जीवित हों तो उनके पक्ष में भी किया जा सकता है।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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