हमने 3 क्रिमिनल लॉ बिलों को बदल कर गुलामी की मानसिकता से मुक्त कराया : अमित शाह
नई दिल्ली21 दिसंबर :भारतीय दंड संहिता की जगह भारतीय न्याय संहिता बिल 2023, सीआरपीएसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और एविडेंस एक्ट के बदले भारतीय साक्ष्य विधेयक-2023 को लोकसभा में बदलाव किया गया. इन तीन विधेयकों पर हुई बहस का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इन तीनों कानूनों से गुलामी की मानसिकता से मुक्त कराया गया है. इसमें न्याय, समानता और निष्पक्षता को सामाहित किया गया है. 150 साल पुराने अंग्रेजों के जमाने के कानून में बदलाव किया गया है. ये कानून पारित होने के बाद पूरे देश में एक ही प्रकार की न्याय प्रणाली होगी. न्याय प्रणाली में समानता लाई जाएगी.
उन्होंने कहा कि साल 2014 में पीएम मोदी की सरकार बनने के बाद मेनिफेस्टो को पूरी तरह से लागू किया गया. धारा 370 हटाया गया. आंतकवाद के खिलाफ जीरो टोलरेंस नीति लागू की गई. अयोध्या में राम मंदिर बनेगा. 22 जनवरी को रामलला विराजमान होंगे. नरेंद्र मोदी जो कहती है. उसे करती है और इन्हीं मुद्दों के साथ फिर से उनकी पार्टी चुनाव में जाएगी. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने लाल किला के प्राचीर से कहा था कि उपनिवेशिक कानून से देश को मुक्ति मिलनी चाहिए. उसके बाद 2019 से परिवर्तन की प्रक्रिया शुरू की. ये कानून विदेशी शासन गुलाम प्रजा को शासित करने के लिए बनाया गया कानून है.
क्रिमिनल जस्टिस का होगा मानवीकरण
उन्होंने कहा कि व्यक्ति की स्वतंत्रता और सभी के साथ समान व्यवहार को लेकर यह कानून बनाया गया है. हमारे यहां न्याय की पुरानी अवधारणा है. अनेक प्रकार के दर्शन को इसमें समाहित किया गया है. दंड की कल्पना न्याय से उपजी है. दंड देने का उद्देश्य से पीड़ित को न्याय देना और ताकि लोग और गलती नहीं करे. इस कारण समाज के अंदर उदाहरण स्थापित करना उद्देश्य है. यह कानून भारतीय न्याय कानून को प्रतिबिंबित करता है. स्वतंत्रता के बाद क्रिमिनल जस्टिस के कानून का मानवीकरण होगा. उन्होंने कहा कि तीनों कानून गुलामी की मानसिकता से मुक्त करवाया है. यह कानून देश के लोगों के लिए नहीं बने थे. यह ब्रिटिश राज को बनाये रखने के लिए बने थे. संविधान की भावना के तहत कानून बन रहा है. जो कहते थे कि हम नहीं समझते, मन खुला रखोगे, मन भारतीय रखोगे तो समझ में आएगा. मन यदि इटली का है तो कभी समझ नहीं आएगा.
पहली बार आतंकवाद की व्याख्या, मॉब लींचिंग के लिए फांसी
उन्होंने कहा किआतंकवाद की व्याख्या पहली बार मोदी सरकार ने की है. जिससे इसकी कमियों को फायदा नहीं उठा सके. राजद्रोह को देश द्रोह में बदलने का काम किया गया है. व्यक्ति की जगह देश को रखा है. देश को नुकसान करने वालों कभी नहीं बख्शा नहीं जाना चाहिए. राजद्रोह को देशद्रोह में बदलने का काम ये कानून करेगा. उन्होंने कहा कि अगले 100 साल तक जितने तकनीकी बदलाव होंगे. सारे प्रावधान इस कानून में कर दिए गये हैं. मॉब लिंचिंग घृणित अपराध है और हम इस कानून में मॉब लिंचिंग अपराध के लिए फांसी की सजा का प्रावधान कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मॉब लिंचिंग घृणित अपराध है और हम इस कानून में मॉब लिंचिंग अपराध के लिए फांसी की सजा का प्रावधान कर रहे हैं. उन लोगों ने 70 साल में 58 साल शासन किया है, तो सत्ता में आए तो क्यों बदलाव नहीं लाए हैं. उस ओर बैठे हों.. बाहर भी बैठे हों.
पुलिस और नागरिक अधिकारों के बीच किया गया संतुलन
उन्होंने कहा किपुलिस और नागरिक के अधिकारों के बीच संतुलन किया गया है. इससे सजा करने का प्रतिशत बढ़ेगा. साइबर क्राइम का भी बहुत प्रावधान किए हैं. तीनों कानून 150 सालों के बाद बदले जा रहे हैं. इन कानूनों के आधार पर इस देश की अपराधिक प्रणाली चलनी है. न्याय, समानता और निष्पक्षता को समाहित किया गया है. फॉरेंसिक साइंस को समाहित किया गया है. इन कानूनों के माध्यम से जल्दी मिले. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (CRPC) में पहले 484 धाराएं थीं, अब 531 होंगी, 177 धाराओं में बदलाव हुआ है. 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं, 39 नए सब सेक्शन जोड़े गए हैं. 44 नए प्रोविजन और स्पष्टीकरण जोड़े गए हैं. 35 सेक्शन में टाइम लाइन जोड़ी हैं और 14 धाराओं को हटा दिया गया है.