हाय रे uppcl जानपद
उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन के सिविल मे चलता भ्रष्टाचारियो का साम्राज्य
लखनऊ 2 जून:
वैसे तो उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन और उसके डिस्कॉमो मे हो रही लूट की कहानिया कोई नई नही है *परन्तु एक ईमानदार अध्यक्ष का बैठने से ईमानदार अधिकारीगण और कर्मचारियो के मन मे थोडी ताकत मिली है और यह विश्वास मिला कि अगर कोई भी प्रमाणित भ्रष्टाचार की शिकायत अध्यक्ष महोदय के कान तक पहुची है तो जाच जरूर होगी और दोषियो को सजा भी मिलेगी किसी भी दबाव मे आ कर अपना फैसला नही बदलेगे इसका प्रमाण संघ के महासचिव के कार्य आवंटन आदेश व उसकी मात्र छः साल की नौकरी मे अर्जित की गयी सम्पत्ति और 25 लाख की गाडी की विजलेस जांच से साबित होता है ।
तो आज की भ्रष्टाचार की कहानी ज्यादा दूर की नही राजधानी लखनऊ से सम्बंधित है । *मध्याचल और शक्तिभवन मुख्यालय मे बैठे सिविल के भ्रष्टाचारीयो के बारे मे है कि यह भ्रष्टाचारी करते है और किस तरह से मध्याचल मे रहे एक मुख्य अभितन्ता ने एक विशेष ठेकेदारी फर्म के साथ मिल कर हेल्पडेस्क के नाम पर एक बडा घोटाला किया जिसकी शिकायत निर्मला कंस्ट्रक्शन और सप्लायर ने अपने लैटर पैड पर प्रबन्धन निदेशक मध्यांचल विद्युत वितरण निगम से 28/5/2021 को अपने पत्र के माध्यम से की जिसमे उसके लगाऐ गये आरोपो सिद्ध करने के प्रर्याप्त प्रमाण भी सलग्नक है जिससे यह प्माणित होता है किस तरह से मुख्य अभियन्ता ने बन्द कमरे मे अपना मुंह चादी के जूते से सुजवाया पाठको को बताते चले कि इनकी भ्रष्टाचार की शिकायत कई बार की गयी परन्तु पता नही कौन सी जादू की छडी है इनके पास जो कोई भी कार्रवाई नही होती इनके छोटे बडे कारनामो पर तो पूरा धारावाहिक ही बनाया जा सकता है उन मे से यह एक छोटा सा कारनाम है हर साल होने वाला वृक्षारोपण अभियान *वृक्षारोपण के नाम पर हर साल निविदाए निकली जाती है और फिर खूब जोर शोर से वृक्षारोपण होता है वृक्षारोपण हुआ है तो वृक्षो की सिचाई के लिए भी तो व्यवस्था करनी पडती है तो बोरिग हो कर के पानी का प्रबन्थ किया जाता है एक आदमी को इस सब कार्य करने के लिए विशेष जिम्मेदारी सौपी जाती है परन्तु होता है क्या कागजो पर ही हजारो पेड खरीदे जाते है और कागजो पर ही पेड लग जाते है और कागजो पर ही सिचाई भी हो जाती है खैर आते है वर्तमान घोटाले पर जिसमे b g construction के द्वारा प्रस्तुत कागज फर्जी होते है और उनको बिना जाच कराए ही कार्यो का आवंटन किया जाता है बिना कार्य किये भुगतान हो जाता उसी तरह जैसे हर साल रोपित वृक्षो को बकरिया खा जाती है और उन वृक्षो की सिचाई के लिए जो बोरवेल खोदा जाता है वो भी सूख जाता है फिर अगले साल यही क्रम चलता है और जनाब का अपना मुंह सुजाया जाता है । अब आते है शक्तिभवन मे इनके अधीनस्त अधिशाषी अभियन्ता के भ्रष्टाचार पर एक कहावत है कि गुरू तो गुड रह गया चेला शक्कर हो गया वो तो इनका वो चला तो इनसे भी कई कदम आगे है सूत्र बताते है कि जनाब को तो ( ED ) ईडी से नोटिस भी मिल चुकी है और जब नोटिस मिलती है तो जनाब अपने घर मे ताला डाल कर फिल्ड हास्टल मे 5 दिनो के लिए रहने आते है जिसके बाद शक्तिभवन मे ही अवैध रूप से नियुक्त बडका बाबू के जरिए सारा मामला दबाया जाता अरे वही जिसका महल जनाब की देख रेख मे न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण के किसी एक सेक्टर मे बन रहा है वैसे आपको बताते चले कि एक दिन एक बडा ही खूबसूरत *डायनिंग टेबल शक्तिभवन के प्रागण मे देखने को मिलता है तो कौतुहल वश उसे लाने वाले बन्दे से पूछा जाता है कि भाई यह कितने का है बडा ही खूबसूरत है तो वह व्यक्ति बडी ही शान से बताता है कि *3 लाख का है फिर पूछा तो फिर यह बडे महगे है तो कम ही बिकते होगे तो उसने जबाब मे कहा अरे क्या बात करते है साहब आज ही दो बिके है एक इन महोदय के आवास पर अतार कर आ रहा हूँ पूछने पर कहा कौन साहब तो उसने एक कम बालो वाले गंजे से दिखने वाले साहब की तरफ इशारा करता है । खैर ऐसे तो बहुत से किससे है वैसे वह डायनिग टबल 15 वे तल पर है कोई भी देख सकता है सिविल डिवीजन/ जानपद के मुख्य अभियन्ता से अगर आप इस बाबत कुछ भी पूछेगे तो बेचारे इतने सीधे है कि इनको अपने अधीनस्थ कर्मचारियो के बारे मे भी नही पता कि किस किस अधिकारी को क्या क्या कार्य आवंटन है तो छोटे बच्चे की तरह मासूम बन कर ऐसा बोलते है जैसे इनसे ज्यादा ईमानदार कोई है ही नही और इनके अधिनस्थ क्या गुल खिला रहे है इनको पता नही । खैर
युद्ध अभी शेष है
अविजित आनन्द संपादक और चन्द्र शेखर सिंह प्रबन्ध संपादक समय का उपभोक्ता साप्ताहिक समाचार पत्र लखनऊ