हाल ऐ उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन
अनुभव ही बडका बाबूओ के बिना सिर पैर के आदेशो का खामियाजा भुगतता पावर कार्पोरेशन और त्रस्त की जनता
लखनऊ 12 अक्टूबर: राज्य विद्युत परिषद को तोड़ने और UPPCL बनाने के बाद से लगातार उ प्र सरकार द्वारा सभी नियमो को ताक पर रखकर प्रदेश के बिजली उद्योग को राजनैतिक चरागाह बनाने की मंशा से अनैतिक रूप से इसे चलाने की जिम्मेदारी प्रदेश के अनुभवहीन व अवैध रूप से नियुक्त बड़केबाबुओ के हाथ सौप दी गयी नतीजा मुंगेरी लाल के हसीन सपनो में परिवर्तित होता गया और आज 22 वर्ष बाद कम्पनी 96 हजार करोड़ के घाटे पर पहुच कर पूरे देश में अपना कीर्तिमान स्थापित करती नजर आ रही है । UPPCL सहित प्रदेश के सभी डिस्कमो मे बैठे बड़केबाबूओ ने बढ़ते हुए घाटे को उ प्र के उपभोक्ताओं पर लाइन लौस दिखाकर उनके सिर मढ़ने का राग अलापते हुए उपभोक्ताओं के ऊपर आपराधिक धाराओं से नवजकर उत्पीड़न किया जा रहा है जैसे उत्तर प्रदेश मे प्रदेश का पुलिस विभाग होते हुए भी नये बिजली थानो का गठन कर दिया जिससे कि इस कार्पोरेशन पर पर बेवजह पुलिस कर्मियो के वेतन का बोझ बढा यानि कि एक और सीडी बढी भ्रष्टाचार की । यह तो एक नमूना है
वैसे वर्तमान में UPPCL इतने बड़े घाटे की मार झेलते हुए जब कंगाल होने के कगार पर पहुच चुका है तो अनुभवहीन अवैध रूप से नियुक्त बौखलाए बड़केबाबुओ द्वारा लगातार तुगलकी फरमान जारी कर पुरानी कार्यदायी सस्थाओ की देनदारी से बचने के लिए रोज नयी नयी तरकीब का इस्तेमाल करते नजर आ रहे है वर्तमान समय में ईआरपी नामक सुरक्षा कवच के सहारे डूबते जहाज को चलाने का खेल UPPCL का शीर्ष प्रबन्धन खेल रहा है।
ई आर पी सिस्टम लागू कराने के दबाव का होरहा भ्रष्टाचार
कोयले संकट गैस संकट बिजली संकट जैसी तमाम संकटो के अचानक एक साथ उभरने के मुख्य कारणो पर विभगिय सूत्रों का कहना है कि ईआरपी लागू करने के दबाव ने चलती हुई व्यवस्था मानो थम सी गयी है जिससे सभी व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त होती नजर आ रही हैं। खैर
युद्ध अभी शेष है