UPPCL प्रबन्धन के विरुद्ध असहयोग आंदोलन में संघर्ष समिति ने दिया अभियंता संघ के घमंडी महासचिव को समर्थन
लखनऊ1जून
उ प्र पावर कार्पोरेशन के ईमानदार छवि के अध्यक्ष एम देवराज पर लगातार उ प्र अभियंता संघ द्वरा एक मात्र अपने घमंडी महासचिव के कार्य आवंटन आदेश को स्थनन्तरण का नाम देकर चेयरमैन द्वरा इसे उत्पीड़न की कार्यवाही का नाम देकर लगातार अभियंताओ को बर्गलाने जैसी कार्यवाही से थके अभियंता संघ ने आखिरकार 75 वर्षीय युवा अनुभवी पायलट /नैविगैटर / डाईवर / कन्डक्टर के द्वारा उपलब्ध काल्पनिक जहाज/बस मे सवार होकर अपने बहुप्रतीक्षित आंदोलन की यात्रा प्रारम्भ करने की घोषणा कर डाली शायद यह इस लिए हुआ की कोविड संक्रमण काल में अभियंता संघ का असहयोग आंदोलन, कार्य बहिष्कार जैसे आंदोलन ने प्रबन्धन पर दबाव बनाने के लिए अपनाएं रास्ते पर चलने के कारण प्रबन्धन ने घमंडी महासचिव के 25 लांख की गाड़ी की विजलेंस जांच शुरू करा दी इससे घिरता देख और अपने आंदोलन की दरकती दीवारों का अहसास अभियंता संघ को बस / जहाज की सवारी करने को मजबूर कर दिया इस घटना के समूचे मुद्दों पर अगर गहराई से विचार करे तो यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर अभियंता संघ मात्र अपने महासचिव के पद आवंटन के मुद्दे पर लड़ रहा है और प्रबन्धन से अपनी मनमानी करना चाहता है तो कार्पोरेशन के अध्यक्ष को एक महत्वपूर्ण निर्णय लेना चाहिए पूरे प्रदेश के सभी ट्रेडयूनियन के नेताओ को उनके डिस्कॉम से सम्बन्ध कर कार्यमुक्त करना गलत नही होगा और इससे सभी प्रकार के नेताजी लोगो को अपने संगठन को चलाने और अपनों को सेवा प्रदान करने में कठिनाई भी नही होगी खैर यह निर्णय तो प्रबन्धन को लेना है कि थके हारे अभियंता अपनी गलत नीति के भरोसे फिलहाल संघर्ष समिति की तथाकथित बस / जहाज में सवार होकर यात्रा आरम्भ कर चुके हैं परन्तु आश्चर्य की बात है दो दिन पूर्व अभियंता संघ के अध्यक्ष की वायरल ऑडियो में अध्यक्ष द्वारा साफ कहा गया था कि संगठन के महासचिव के स्थानांतरण का कोई मुद्दा नही है इसे गलत तरीके से प्रचारित किया जा रहा है परन्तु आज संघर्ष समिति द्वारा जारी ऊर्जा मंत्री के सम्बोधन पत्र में एक बार पुनः महासचिव के कार्य आवंटन की कार्यवाही को स्थानांतरण का नाम देकर चेयरमैन द्वारा उत्पीड़न की कार्यवाही बताते हुए इसे निरस्त करने की मांग ऊर्जामंत्री से करना यह साफ करता है कि अभियंता संघ अपनो के मुद्दे से कही दूर हटकर एक मात्र अपने घमंडी महासचिव के घमंड को बचाने की मुंद्रा में नजर आ रही है वैसे जो काम सघर्ष समिती को करना चाहिए वो तो वह कार्य ही भूल गयी जब समय के उपभोक्त समाचार पत्र ने यह लिखा कि पिछले आन्दोलन मे जो छोटे कार्यकर्ताओ कै खिलाफ मुकदमे दर्ज हुई है उन्हे अभी तक वापस नही लिया गया तब तो 75 वर्षीय युवा सरक्षक को यह याद आया कि ऐसा भी कुछ हुआ था कैसे सेनाध्यक्ष/ सरक्षक है जिनको अपने योद्धाओ की कुर्बानी याद नही और चल दिये जहाज ले कर उस विशेष भ्रष्टाचारी को बचाने । वैसे यह समझ मे नही आ रहा कि जब उस तथाकथित संगठन के अध्यक्ष पर ही भ्रष्टाचार की जांच चल रही है महासचिव पर भी जाच चल रही है गलत-सलत नीतियो ले कर विरोध कर रहे है उन पर प्रबन्धन कार्यवाई क्यो नही करता जब कि किसी भी अन्य अधिकारीयो को अगर प्रबन्धन द्वारा सौपे गये कार्य करने तनिक भी विलम्ब हो तो उसे कारण बताओ नोटिस थमा दिया जाता है फैरन एक जिले से दूसरे जिले भेजने या डिस्कॉम मुख्यालय से सम्बंधित कर दिया जाता है परन्तु इस भ्रष्टाचारी व घमण्डी महासचिव के लिए
पूरी संघर्ष समिति ही लडने और दबाव बनाने चली आई इतना ही है तो क्यो ना अध्यक्ष और महासचिव दोनो को ही कार्यमुक्त कर शक्तिभवन मुख्यालय से अटैच कर दिया जाए और उनको अपने संगठन के सदस्यो की सेवा का अवसर मिलता रहे किसी की पेन्शन का काम किसी के प्रमोशन का कार्य किसी के ऊपर बैठी जांच को निपटाने का काम आदि दे दिया जाऐ जब गहराई से इस आन्दोलन कार्य आवटन आदि विषयो पर चिन्तन किया तो समझ मे एक ही बात आती है कि यह सघ / संगठन है उनके नेता जहा कही भी तैनात है अगर ध्यान दे तो सभी कही ना कही मलाईदार पोस्टिंग पर है कही दूर ना जाते हुए मात्र अभियन्ता संघ के अध्यक्ष की ही पोस्टिंग दक्षिणाचल के एक मलाईदार पद पर है जितना भी समान तार या जो भी समान खरीदा जाएगा उसकी निविदा का सम्पूर्ण कार्य इनही जनाब की देख रेख मे होता है क्या कार्य आवंटन नही है अगर इनके महासचिव महोदय को किसी मलाईदार पोस्टिंग पर अभी पोस्ट कर दिया जाए जहा दिन रात चादी के जूते से इनकी सेवा हो तब चू तक नही करेगे कोविड अस्पतालो की आपूर्त की जिम्मेदारी दी गयी तो विरोध-प्रदर्शन शुरू लेकिन इन सबके पीछे जो सबसे बडा कारण है वो है ईमानदार अध्यक्ष पावर कार्पोरेशन जिसके आगे किसी की दाल नही गल रही उसको हटा कर अपने मनपसंद का अध्यक्ष लाना यही छुपा हुआ मुख्य उद्देश्य है । खैर लडाई जारी है और प्रबन्धन का लचीला रूख भी । वैसे अगर प्रबन्धन ने थोडी सी भी ढील देदी महासचिव महोदय का कार्यक्षेत्र बदल दिया तो इसी को अपनी जीत बता कर यह प्रबन्धन का जीना मुश्किल कर देगे भले ही अकेले मे पैर पकड कर काम कराया गया हो परन्तु बाहर तो जीत का ढिढोरा पीटा ही जाऐगा । खैर
युद्ध अभी शेष है
अविजित आनन्द संपादक और चन्द्र शेखर सिंह प्रबन्ध संपादक समय का उपभोक्ता साप्ताहिक समाचार पत्र लखनऊ