कविता-कहानी
कर्म थोड़ा दुखदायी होता है लेकिन बिना कर्म किये सुख की प्राप्ति भी नहीं हो सकती
August 24 2021
भगवान श्री कृष्ण एक तरफ वंशीधर हैं तो दूसरी तरफ चक्रधर, एक तरफ माखन चुराने वाले हैं तो दूसरी तरफ सृष्टि को खिलाने वाले वो एक तरफ बनवारी हैं तो दूसरी तरफ गिरधारी, वो एक तरफ राधारमण हैं तो दूसरी तरफ रुक्मणि हरण करने वाले हैं।
कभी शांतिदूत तो कभी क्रांतिदूत, कभी यशोदा तो कभी देवकी के पूत कभी युद्ध का मैदान छोड़कर भागने का कृत्य, तो कभी सहस्र फन नाग के मस्तक पर नृत्य जीवन को पूर्णता से जीने का नाम कृष्ण है जीवन को समग्रता से स्वीकार किया श्री कृष्ण ने परिस्थितियों से भागे नहीं उन्हें स्वीकार किया।
भगवान श्री कृष्ण एक महान कर्मयोगी थे, उन्होंने अर्जुन को यही समझाया कि हे अर्जुन, माना कि कर्म थोड़ा दुखदायी होता है लेकिन बिना कर्म किये सुख की प्राप्ति भी नहीं हो सकती अगर कर्म का उद्देश्य पवित्र व शुभ हो तो वही कर्म सत्कर्म बन जाता है।