कोयले की कमी: बिजली की किल्लत, गहरा सकता है बिजली संकट,मुख्यमंत्री ने पीएम को पत्र लिखकर जताई चिंता
नई दिल्ली14अक्टूबर:कोयले की कमी का संकट गहराने के बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने चिंता व्यक्त करते हुए शनिवार को ट्वीट कर कहा, ”दिल्ली को बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है। मैं व्यक्तिगत रूप से स्थिति पर पैनी नजर रख रहा हूं। हम इससे बचने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। इस बीच, मैंने माननीय प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखकर उनके व्यक्तिगत हस्तक्षेप की मांग की है।
जानकारी के अनुसार, दिल्ली में बिजली वितरण करने वाली टाटा की शाखा टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड (डीडीएल), जो मुख्य रूप से उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में काम करती है, उसने अपने ग्राहकों को एसएमएस भेजा है। एसएमएस में कहा गया है, ”उत्तर भर में उत्पादन संयंत्रों में कोयले की सीमित उपलब्धता के कारण, दोपहर दो बजे से शाम छह बजे के बीच बिजली आपूर्ति की स्थिति गंभीर स्तर पर है। कृपया विवेकपूर्ण तरीके से बिजली का उपयोग करें। एक जिम्मेदार नागरिक बनें। असुविधा के लिए खेद है – टाटा पावर-डीडीएल।”
पिछले हफ्ते ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने देश में थर्मल पावर प्लांट्स में कोयले की कमी को स्वीकार किया था और इसे सामान्य स्थिति से परे करार दिया था। हालांकि, बाद में उन्होंने यह भी कहा था कि अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े में बिजली की मांग कम हो जाएगी और संयंत्रों में कोयले की आपूर्ति में भी सुधार होगा।
बिहार में बिजली की किल्लत, गांवों में भारी कटौती
देशव्यापी कोयले संकट का असर बिहार की बिजली आपूर्ति व्यवस्था पर हो रहा है। खपत की तुलना में बिहार को केंद्रीय सेक्टर से लगभग आधी बिजली मिल रही है। खुले बाजार से बिहार अभी 1000 मेगावाट तक महंगी बिजली की खरीदारी कर रहा है, लेकिन यह नाकाफी साबित हो रहा है। इस कारण राज्य के शहरी क्षेत्र में बिजली आपूर्ति तो लगभग ठीक है लेकिन अर्धशहरी व ग्रामीण इलाके में सात से 10 घंटे तक की लोड र्शेंडग हो रही है। स्थिति सामान्य होने में एक-दो दिनों का अभी समय लग सकता है। किल्लत को देखते हुए बिहार ने केंद्र सरकार से कोटा बढ़ाने का भी अनुरोध किया है।
बिजली कंपनी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, एनटीपीसी से बिहार को 4500 मेगावाट बिजली मिलनी है। लेकिन अभी 3000 मेगावाट तक ही बिजली मिल रही है। करार के तहत बिहार को दो निजी कंपनियों से 688 मेगावाट तक बिजली मिलनी है लेकिन इसमें से 347 मेगावाट बिजली ही मिल रही है। पवन ऊर्जा में 580 मेगावाट के बदले 100 मेगावाट ही बिजली मिल रही है। इस कारण बिहार खुले बाजार से महंगी बिजली खरीद रहा है। हालांकि, खुले बाजार से भी बिहार को पर्याप्त बिजली नहीं मिल रही है। बिहार अगर 1000 मेगावाट की बोली लगाता है तो उसे 250 मेगावाट ही बिजली मिल रही है। यह बिजली भी खरीद दर की अधिकतम सीमा 20 रुपए प्रति यूनिट की दर से मिल रही है। कंपनी हर रोज अधिकतम बोली लगाकर बिजली खरीदने की
कोशिश कर रही है। कंपनी की कोशिश है कि दिन में भले ही बिजली संकट हो लेकिन पर्व-त्योहार के इस मौसम में रात में अधिक से अधिक बिजली आपूर्ति हो।
जिलों की स्थिति भी गंभीर
कम बिजली मिलने से पटना को छोड़ दें तो जिलों में बिजली की स्थिति विकट है। इस कारण अर्धशहरी इलाकों से लेकर ग्रामीण इलाकों में जमकर लोडर्शेंडग हो रही है। सहरसा को 50 की जगह 30 मेगावाट बिजली मिल रही है। मधेपुरा को 100 मेगावाट के बदले 70 मेगावाट बिजली मिल रही है। अररिया को 120 मेगावाट के बदले 100 मेगावाट, कटिहार को 90 के बदले 80 मेगावाट, किशनगंज को 60 के बदले मात्र 20 मेगावाट, पूर्णिया को 150 मेगावाट के बदले 100 मेगावाट, लखीसराय को 24 मेगावाट के बदले 19 मेगावाट बिजली मिल रही है। इसी तरह खगड़िया को 40 मेगावाट के बदले 12 से 20 मेगावाट, मुंगेर को 90 मेगावाट के बदले 60 मेगावाट, बांका को 100 मेगावाट के बदले 70 मेगावाट बिजली मिल रही है। मुजफ्फरपुर को मात्र 70 मेगावाट बिजली मिली, जिससे दोनों ग्रिड को रोटेशन के आधार पर चलाया गया। वैशाली, सारण, औरंगाबाद, गया, जहानाबाद, भोजपुर, बक्सर सहित राज्य के अन्य जिलों का भी कमोबेश यही हाल है।
दी जा रही भरपूर बिजली : एनटीपीसी
एनटीपीसी के एक अधिकारी ने दावा किया कि कोयले संकट का अधिक प्रभाव बिहार की बिजली इकाइयों पर नहीं हो रहा है। अब भी 10 दिनों के उत्पादन का कोयला उपलब्ध है जो पहले 15 दिनों का हुआ करता था। कोयले की कमी को देखते हुए एनटीपीसी ने अपने कोयला खदानों से भी कोयला मंगा रहा है। बाढ़ स्टेज पांच की 660 मेगावाट की एक यूनिट तकनीकी कार्य के कारण बंद है, जिसकी सूचना बिहार को पहले ही दे दी गई थी। यहां से बिहार को 500 मेगावाट बिजली मिलती है। कांटी से बिहार ने 220 मेगावाट बिजली लेने का करार हाल ही में समाप्त कर दिया। ऐसे में एनटीपीसी उसे प्राथमिकता देती है जिसके साथ पहले से ही बिजली लेने का करार है। अभी बिहार को 3200 मेगावाट तक बिजली मिल रही है।