जानिए आज के ही दिन यानी15सितंबर को क्यू मनाया जाता हैं इंजीनियर्स डे—-
आधुनिक विश्वकर्मा मोक्षगुण्डम विश्वेश्वरैया के जन्मदिवस को प्रत्येक वर्ष भारत के साथ ही श्रीलंका और तंजानिया में भी इंजीनियर्स डे के रूप में मनाया जाता है। उनकी एक सिविल इंजीनियर से 1955मे भारत रत्न प्राप्त करने तक की यात्रा सबको राष्ट्र व राष्ट्र हित प्रथम का संदेश देती है। बांधों में फ्लड गेट्स का निर्माण कर जल स्तर ऊपर उठाने की तकनीक का पुणे रिजर्वायर वा केआरएस डैम मैसूर में प्रयोग हो या विशाखापट्टनम पोर्ट के भू-कटाव को रोकना हो, उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग दक्षता का सबको लोहा मनवाया। मैसूर के तत्कालीन राजा कृष्णराजा वोडियार चतुर्थ ने राज्य के बहुमुखी विकास के लिए उनके द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत ’बिना उद्योग भारत की प्रगति संभव नहीं है’ को मानते हुए उन्हें अपना दीवान नियुक्त किया। उनका कहना वा मानना कि पश्चिम में पढ़ाई पर खर्च एक राष्ट्रीय इन्वेस्टमेंट माना जाता है की परिणीति मैसूर सोप फैक्टरी, मैसूर(अब विश्वेश्वरैया) आयरन एंड स्टील वर्क्स, श्री जयाचामाराजेन्द्र पॉलीटेक्निक, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, सेंचुरी क्लब, मैसूर चैंबर ऑफ कॉमर्स (अब एफकेसीसीआई) बैंगलोर, यूनिवर्सिटी विश्वेश्वरैया कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, बैंगलोर, यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर, बैंगलोर के रूप में सबके सामने है। इनका जन्म वर्ष 1860में हुवा था
इस मनीषी को शत-शत नमन करते है।