पूर्वांचल

नहाय-खाय के साथ कल से शुरू होगा लोक आस्था का महापर्व छठ

वाराणसी 4 नवंबर :चार दिनों तक चलने वाला लोक आस्था का महापर्व छठ कल मंगलवार से नहाय-खाय के साथ शुरू हो जाएगा. बुधवार को खरना और गुरुवार को पहला अर्घ्य दिया जाएगा. जबकि शुक्रवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ यह पूजा समाप्त हो जाएगी.

छठ पर्व पर वाराणसी के घाटों पर भक्तों की काफी भीड़ होती है. ऐसे में जिला प्रशासन तैयारी में लगा हुआ है. सभी घाटों को लगभग पूरी तरह से तैयार कर लिया गया है.

छठ पूजा के चार चरण

नहाय-खाय– महापर्व छठ के पहले दिन व्रती (छठ पूजा करने वाले) पवित्र स्नान करते हैं और सात्विक भोजन का सेवन करते हैं. इस नहाय-खाय के साथ ही व्रत का आरंभ होता है. इस दिन व्रती चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल का प्रसाद ग्रहण करते हैं. इस साल नहाय-खाय 5 नवंबर यानी मंगलवार को है

खरना– छठ पर्व का दूसरा खरना का होता है, जिसमें व्रती दिनभर निर्जला व्रत रखते हैं और शाम को विशेष प्रसाद के साथ व्रत तोड़ते हैं. प्रसाद में खासतौर पर गुड़ की खीर, रोटी और केला शामिल होता है. पूजा के बाद खरना का प्रसाद खाकर व्रती 36 घंटे के निर्जला व्रत का आरंभ करती है. इस दिन मिट्टी के चूल्हे में आम की लकड़ी से आग जलाकर प्रसाद बनया जाता है. इस साल खरना 6 नवंबर बुधवार को है.

संध्या अर्घ्य- तीसरे दिन व्रती गंगा, तालाब, या किसी नदी किनारे जाकर संध्या के समय डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं. व्रत का यह सबसे महत्वपूर्ण क्षण होता है, जब भक्तजन सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पण कर उनसे कृपा और आशीर्वाद की कामना करते हैं. इस साल 7 नवंबर गुरुवार को डूबते हुए भगवान सूर्य को संध्या का अर्घ्य दिया जाएगा.

प्रातः कालीन अर्घ्य- चौथे दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ पूजा का समापन होता है. यह भोर में होत है, जो आस्था और श्रद्धा का प्रतीक होता है. इस समय परिवार और समाज के लोग एकत्र होते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु भगवान सूर्य और छठी मईया से प्रार्थना करते हैं. इस साल 8 नवंबर शुक्रवार की सुबह उगते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा.

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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