पश्चिम बंगाल में टीएमसी में वापसी के लिये छटपटा रहे भाजपा के 33 विधायक
कोलकाता4जून:
कोलकाता मीडिया में छनकर आ रही खबरों के अनुसार पश्चिम बंगाल की राजनीति में फिर बड़े बदलाव के संकेत दिखाई दे रहे हैं। खबर है कि विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए कुछ विधायक तृणमूल कांग्रेस में वापसी के लिये छटपटा रहे हैं। इन विधायकों की संख्या करीब 33 बताई जा रही है! हालांकि भाजपा इन खबरों का खंडन कर रही है। पूर्व टीएमसी नेता सरला मुर्मू, सोनाली गुहा और दीपेंदु विश्वास पहले ही खुलकर पार्टी में शामिल होने की इच्छा जता चुके हैं।
मीडिया में आ रही खबरों की माने तो भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय के बेटे शुभ्रांशु रॉय टीएमसी की ओर देख रहे हैं। हालांकि इस बात की अभी तक आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है। दरअसल उनकी एक फेसबुक पोस्ट के बाद इस तरह की अटकलें लगाई जाने लगी थीं जिसमें रॉय ने कहा था कि सरकार की आलोचना करने से बेहतर खुद का निरीक्षण करना है। बीजपुर से बीजेपी के टिकट पर चुनाव में उतरे रॉय को हार का सामना करना पड़ा था।
वहीं भाजपा प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य बीजेपी नेताओं के टीएमसी में शामिल होने की खबरों को अफवाह बता रहे हैं। वे कहते हैं कि ये दावा झूठा है। इधर टीएमसी दल-बदल से जुड़े फैसले पर जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाना चाहती। पार्टी सांसद शुखेंदु शेखर रॉय के मुताबिक पार्टी की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की जा सकती है। उन्होंने बताया है कि टीएमसी छोड़कर गए नेताओं की वापसी को लेकर पहले कई सवालों के जवाब तलाशे जाएंगे?
उन्होंने जानकारी दी कि पहले यह देखा जाएगा कि वे पार्टी से अलग क्यों हुए थे? वापसी का उद्देश्य क्या है? ऐसी जानकारी मिलने के बाद ही उनकी दोबारा सदस्यता को लेकर फैसला किया जा सकेगा। उन्होंने दावा किया है कि कई नेताओं के नाम अभी तक सामने नहीं आए हैं। टीएमसी सांसद ने कहा है कि ऐसे ही हाल रहे, तो राज्य से भाजपा पूरी तरह साफ हो जाएगी।
मई में संपन्न हुए चुनाव में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में टीएमसी ने राज्य में प्रचण्ड बहुमत लेकर दोबारा सत्ता हासिल की है। 294 विधानसभा सीटों वाले बंगाल में टीएमसी को 213 और भाजपा को 77 सीटें मिली थीं। चुनाव से पहले राज्य में खासी सक्रिय रही भाजपा में टीएमसी के कई नेता शामिल हुए थे। इनमें दिग्गज नेता और सीएम बनर्जी को नंदीग्राम में हराने वाले शुभेंदु अधिकारी का नाम भी शामिल है। दल-बदलने वाले इन नेताओं में से विधायकों की संख्या 33 थी।