पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के बड़केबाबू अपनाया दुर्योधन का रूप
वाराणसी 10 जून 2021: शिव की प्यारी नगरी काशी और जन प्रिय प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र यही है व विद्युत वितरण विभाग का मुख्यालय जिसे हम पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के रूप में जानते है जहा से सम्पूर्ण पूर्वांचल की विद्युत आपूर्ति, राजस्व वसूली, प्रसासनिक व्यवस्था को नियंत्रित किया जाता और इसको नियन्त्रण करने के लिए एक अनुभवहीन भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी है यानि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम मे तैनात गैर अभियांत्रिक अनुभव के हीन बड़केबाबू सहित तीन अभियंताओ की नियुक्ती निदेशको के रूप मे है जैसे हस्तिनापुर के दरबार मे एक से बढ कर एक विद्वान था परन्तु दुर्योधन के कुटिल चालबाज शकुनी मामा की चालबाजी से पूरा साम्राज्य खाक हो गया उसी तरह से पूर्वाचल के बडकऊ ने अपने को दुर्योधन समझ लिया है और चिपकू ने शकुनी का अवतार ग्रहण कर रखा है । वैसे तो इनके पास विदुर, द्रोणाचार्य और कृपाचार्य जैसे अनुभवी शुभचिन्तक है परन्तु जैसे महाभारत मे शकुनी ने दुर्योधन की बुद्धि हर ली थी ठीक उसी तरह से बडकऊ की बुद्धि भी चिपकू ने हर ली है वैसे बडकऊ का साथ देने के एक लम्बी चौड़ी शुभचिंतक अभियंताओ की फ़ौज है जिनकी सलहा पर डिस्कॉम के सभी कार्यो को सम्पादित किया जाता सकता है परन्तु शकुनी के आगे जैसे विदुर की सही सलाह नही चली थी उसी तरह से चिपकू के आगे किसी की नही चलती । यहा तक कि निदेशको की भी सलहा पर बडकऊ कान नही देते ।
यह बात पाठकों को बताना जरूरी है कि यही कारण है इस मुख्यालय में बैठी अनुभवी अभियंताओ फ़ौज की कार्यप्रणाली के बारे में शायद आप जानकर आश्चर्य करेगे कि
किस तरह से एक अनुभव हीन और अपने विषेशज्ञ क्षेत्र से उलट एक ऐसे व्यक्ति कि नियुक्ति पूर्वांचल विद्युत विभाग के मुखिया के रूप मे करी जाती है जिसे की उस विभाग का (क ख ग) भी नही आता उसे तो अपने विषय का ज्ञान है परन्तु उसके कमजोर अनुभवहीन कन्धो पर इस घोर अभियांत्रिकी विभाग को चलाने का काम सरकार द्वारा सौप दिया जाता है तो लाजमी है कि वो इस विभाग मे तैनात धूर्त व चाटुकार शकुनी के हाथ की कठपुतली बन ही जाएगा इसी अनुभवहीनता का फायदा यहा पर तैनात एक ऐसे ही चाटुकार प्रवृत्त के शातिर अधिशाषी अभियन्ता ने उठाया और शकुनी जैसे तेज दिमाग से बडकऊको अपने शीशे मे उतार लिया । वैसे भी लक्ष्मी किसे प्रिय नही होती वो भी मुफ्त मे बेगैर मेहनत किये और बगैर किसी को पता लगे मिले तो फिर ना लेने वाला मूर्ख ही समझा जाएगा यानि हीग लगे ना फिटकरी और रंग चोखा । पाठको के मन मे एक सवाल उठता तो जरूर होगा कि यह चिपकू नामक शकुनी करता क्या है पहले तो पाठक यह जान ले कि डिस्कॉम के सभी निदशको के निर्णय को बड़केबाबू से बदलवाना, सिक्योरटी रिलीज कराने में मोटी मलाई काटना, विभाग की कार्यदायी कम्पनियों से बड़केबाबू की सीधी मुलाकात कराना, डिस्कॉम में मलाईदार पदों पर निदशको के निर्णय के विपरीत पोस्टिंग कराना, अपने प्रभाव से सामग्री की खरीद में निरीक्षण के लिये मनचाहे अधिकारियों को नामित करना कार्यदायी कम्पनियों के बकाए भुगतान कराने का अनुमोदन बड़कऊ से कराना जैसी दर्जनों व्यवस्था एक मात्र चिपकू यानी शकुनी मामा के साम्राज्य के नियन्त्रण मे रखी है और बड़कऊ उसी की सलाह पर डिस्कॉम को संचालित करते नजर आ रहे हैं अगर समय रहते शक्तिभवन में बैठे सबसे बड़केबाबू ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो वह दिन दूर नही कि हस्तिनापुर रूपी पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का हाल महाभारत के हस्तिनापुर जैसा होगा । वहा एक शकुनी ने महाभारत करायी यहा भ्रष्टाचार पर बड़ी महाभारत होगी और यही से शुरु होती है भ्रष्टाचार की कहानी यानि नाम बडकऊ के प्रिय शकुनी मामा चिपकू का साम्राज्य । सरकार द्वारा उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए इस अति आवश्यक सेवा को निरन्तर जारी रखने के लिये इस बड़ी फ़ौज की जिम्मेदारी पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम मे तैनात बडकऊ के ऊपर डाल रखी है और बडकऊ ने अपने आख नाक कान इस चिपकू को बना रखा है और चिपकू भी बडा शातिर है हस्तिनापुर रूपी इस डिस्कॉम में चिपकू शकुनी के रूप बड़केबाबू के कान मे भ्रष्टाचार का मन्त्र फूक देता और वो मलाई तो बडे ही शातिराना ढग से उतारता है और फिर छांच बडका बाबू को दे कर मजा लेता है अनुभव हीन बडकऊ को क्या पता कि इस विभाग को कैसे चलाना है इस धोर अभियांत्रिकी विभाग को चलाना उनके लिए टेढी खीर है अब चिपकू जो कि बडकऊ का आख नाक कान बना है वो जो समझा देता है वैसे करने लग जाते है और अपने अनुभवी अभियन्ता जो कि निदेशको भी है उनके अनुभव का फायदा ना उठा कर चिपकू के हाथो की कठपुतली बन नाच रहे है सुबह से शाम तक विडियो कान्फ्रेंसिंग से इस जटिल विभाग को चलाने की कोशिश कर रहे है इसी वजह से
विगत कुछ माह से यहा की सभी व्यवस्थाए मानो चरमरा सी गयी है जिसका मुख्य कारण यहा कोविड की आड़ में सुबह से शाम तक चलने वाली वीडियो कांफ्रेसिंग को माना जा रहा है जबकि उपभोक्ताओं की आवश्यक सेवा से जुड़े इस विभाग ने कोविड के दौरान भारतीय जनमानस की सेवा खातिर अपने विभाग के अभियन्ताओ सहित बड़ी अधिकारीयो व कर्मचारियो को बडी सख्या में खोया है परन्तु उपभोक्ताओं को किसी भी प्रकार की बड़ी परेशानियों से नही जूझना पड़ा परन्तु भ्रष्टाचार के इस मुख्यालय की वर्तमान कार्यप्रणाली जल्द ही यहा की व्यवस्थाओं को बैठा देगी यहा के हालातो को देख यह कहना गलत नही होगा ।
सुबह से शाम नही देर रात तक यहा होती एक मात्र VC
इस मुख्यालय में सुबह कार्यालय खुलने के पूर्व उ प्र पावर कॉपरेशन के अध्यक्ष एम देवराज की एक छोटी सी वीडियो कांफ्रेसिंग कार्यालय खुलने के पूर्व आरम्भ होती है जिसमे पूरे दिन के कार्य की रूप रेखा और अन्य मामलो की एक छोटी सी जानकारी ली जाती है और कुछ दिशा निर्देश दिए जाते है ।
परन्तु अध्यक्ष की विडिओ कान्फ्रेंसिंग खत्म होते ही शुरू होती है उनके दिए गये दिशानिर्देश के विश्लेषण की विडियो कान्फ्रेंसिंग जो की देर रात तक प्रवचन के रूप मे चालू रहती है और दूसरी तरफ बडकऊ के चिपकू की भ्रष्टाचार की दुकान चालू रहती है सुट्टा लगते हुए दोनो हाथो से लूट चालू होती है और फिर किसी निर्दोष को फसा कर अपने भ्रष्टाचार का शिकार बनाया जाता है यह चिपकू कौन है और उसकी क्या क्या कार्यगुजारी है उसका ज्ञान अध्यक्ष पावर कारपोरेशन को है अब देखना है कि कब तक इस चिपकू को सबसे बडे बडका बाबू छूट देते है और पूर्वांचल के भ्रष्टाचार की जड चिपकू के भ्रष्टाचार के शिकार लोगो की बली लेते रहेगे । खैर
युद्ध अभी शेष है
अविजित आनन्द संपादक और चन्द्र शेखर सिंह प्रबन्ध संपादक समय का उपभोक्ता साप्ताहिक समाचार पत्र लखनऊ