प्रदेश के बिजली संकट पर विशेष,कोयले के संकट के बावजूद कंगाल UPPCL को मुख्यमंत्री ने दिया आर्थीक मदद का भरोसा
∼लखनऊ 14 अक्टूबर:उ प्र पावर कार्पोरेशन में लगातार 20 वर्षो से अवैध रूप से बैठे अनुभवहीन बड़केबाबुओ के मनमाने फैसलो के चलते आज UPPCL पूरी तरह कंगाली के दौर से गुजरता रहा है और प्रदेश को रौशन करने वाला विभाग जो कि हजारो उद्योग को चला कर प्रदेश को उन्नति के मार्ग पर चलाता है आज इन अनुभवहीन बडका बाबूओ के अधार हीन मनमाने फैसलो के कारण कर्ज के मर्ज को लेकर कराहता नजर आ रहा है परन्तु अचानक देश प्रदेश में हुए कोयले के संकट के चलते उ प्र सरकार द्वारा शहरों को 24 घण्टे और ग्रामीण क्षेत्रों को 18 घण्टे बिजली देने के वादे पर जब ग्रहण लगने की सूचना प्रदेश के मुख्यमंत्री के दरबार तक पहुची तो स्वयं प्रदेश के मुख्यमंत्री ने 11 अक्टूबर को प्रदेश के ऊर्जामंत्री सभी कमिश्नरो , सभी जिलाधिकारी सहित पूरे UPPCL के चेयरमैन, प्रबंधनिदेशक , डिस्कॉमो के प्रबंधनिदेशक ,निदेशकों मुख्य अभियन्ताओ के साथ विद्युत व्यवस्था पर आये संकट को लेकर एक विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा बैठक की एवं आवश्यक निर्देशो के साथ साथ विद्युत आपूर्ति को सामान्य बनाये रखने पर विशेष बल दिया इस बैठक में भी कोयले संकट के चलते महंगी बिजली खरीद में आने वाले आर्थिक संकट से ऊर्जामंत्री एवं चेयरमैन ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया जिसका संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इस संकट के समय मे भी प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को किसी भी कीमत पर बिजली कटौती नही की जाएगी सरकार ने जो वादा किया है उसे पूरा करने में आने वाली आर्थिक दिक्कतों की पूरी भरपाई प्रदेश सरकार करेगी इस मद जो भी अतिरिक्त आर्थिक मदद की जरूरत है उसे पूरा प्रदेश सरकार वहन करेगी।
कोयले संकट के चलते 15 से 20 रु यूनिट बिजली खरीद कर रही सरकार
वर्तमान में कोयले संकट के चलते उ प्र सरकार बिजली उपभोक्ताओं को बिजली संकट का सामना न करना पड़े इस कारण से अपने किये हुए वादों को पूरा करते हुए 15 से 20 रु प्रति यूनिट की बिजली खरीद कर प्रदेश के उपभोक्तओं को बिजली उपलब्ध करा रही है सूत्र बताते हैं कि इस संकट के दौर में उपभोक्ता देवो भवः की नीति को कायम रखने में प्रदेश सरकार को प्रतिदिन 100 करोड़ सेज्यादा का अतिरिक्त खर्च वहन करना पड़ रहा है। लेकिन इन सब घटनाक्रम के बीच एक यक्ष प्रश्न यह उडता है कि आखिर कोयले की कमी क्यो हुई क्या शीर्ष प्रबन्धन पर बैठे बडका बाबूओ को यह नही पता कि कोयले के बिना बिजली उत्पादन सम्भव नही क्यो हर साल बरसात के समय जो खरीद होती है वो क्यो नही की गयी क्या सभी कम्पनियो के चेयरमैन बनके बैठे बडका बाबू को यह नही पता कि कोयला नही खरीदा गया एक तरफ तो जो अध्यक्ष पावर कार्पोरेशन आता है व इस कार्पोरेशन को अपने हिसाब से हाकने लगता है पूर्व अध्यक्ष जिनके समय मे पी एफ घोटाला हुआ था उनके तो कई ऐसे आदेश है जोकि इस फील्ड मे लागू किये गये है तो भ्रष्टाचार को बढावा मिला है और कुछ ऐसे कि जो आज तक लोगो की समझ मे नही आये जैसे ERP , बिजली थानो की स्थापना और लेटर आफ क्रेडिट ऐसे निर्णय है जिससे विभाग को फायदा पहुचने की जगह नुकसान हुआ है बिजली थानो से भ्रष्टाचार का एक और ठिकाना बना है । वैसे सूत्र बताते है कि वर्तमान मे बैठे बडका बाबू जी ने तो सबको पीछे छोडते हुए अपनी हिटलरशाही चला रखी है जैसे कि एक विशेष वर्ग के लोगो को ऐसी कृपा करी है कि उसका उद्धारण मिलना ही मुश्किल है एक ऐसे प्रमाणित भ्रष्टाचारी को एक इंक्रीमेंट की सजा दी है जिसमे की उसकी सेवा समाप्त कर जेल भेजने तक के पर्याप्त सबूत थे और ऐसे ही अन्य को बचाने की पूरी तैयारी है जैसा समझा जाता था कि महोदय निष्पक्ष है लेकिन यह तो निकले एक विशेष वर्ग के पक्षकार खैर यह सब बाद मे । फिलहाल इस बिजली संकट का जिम्मेदार जितना यह अवैध रूप से नियुक्त बडका बाबूओ की फौज है उतनी ही जिम्मेदारी सरकार पर भी है वैसे इस कर्ज के भार से डूबते कार्पोरेशन मे अपना वेतन बढाने के लिए चौतरफा हडताल चालू है आमदनी चवन्नी और खर्च रूपया वाह रे पावर कार्पोरेशन वाह और वाह रे प्रबन्धन पावर कार्पोरेशन। खैर
*युद्ध अभी शेष है*