पूर्वांचल

महादेव की नगरी काशी में विश्व प्रसिद्ध नाग नथैया लीला देखने उमड़ी भीड़, गंगा बनी यमुना भगवान श्री कृष्ण ने किया कालिया नाग का मर्दन

वाराणसी 5 नवंबर : महादेव की नगरी काशी के भदैनी में नाग नथैया लीला देखने के लिए तुलसी घाट पर लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। जैसे ही भगवान श्रीकृष्ण यमुना बनी गंगा में गेंद लेने के लिए छलांग लगाए, वैसे ही घाट परिसर ‘जय कन्हैया लाल की’ के उद्घोष से गूँज उठा। इसके बाद भगवान ने नदी में उतरकर कालिया नाग का मर्दन किया।

संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वंभरनाथ मिश्रा का कहना है कि तुलसीदास ने इस लीला में सभी धर्मों के भेदभाव को मिटा दिया है। सभी कलाकर अस्सी भदैनी के ही होते हैं। सबसे प्रमुख दीपावली के चार दिन बाद होने वाली नागनथैया अपने आप में अनोखी लीला है।

लगभग 498 साल पहले कार्तिक माह में श्रीकृष्ण लीला की शुरुआत की थी। यह भक्ति और भाव का ही प्रभाव है कि काशी का तुलसी घाट गोकुल और उत्तरवाहिनी गंगा यमुना में बदल जाती हैं। तुलसीदास द्वारा शुरू की गई इस 22 दिनों की लीला की परंपरा आज भी कायम है।

भगवान राम के अनन्य भक्त संत गोस्वामी तुलसीदास ने शिव की नगरी काशी राम नाम के साथ भगवान कृष्ण को भी लीला के जरिए जन जन तक पहुंचाया। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा भदैनी में लगभग 498 साल पहले कार्तिक माह में श्रीकृष्ण लीला की शुरुआत की थी। यह भक्ति और भाव का ही प्रभाव है कि काशी का तुलसी घाट गोकुल और उत्तरवाहिनी गंगा यमुना में बदल जाती हैं। तुलसीदास द्वारा शुरू की गई इस 22 दिनों की लीला की परंपरा आज भी कायम है। इसमें भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव से लेकर उनके द्वारा किए गए पूतना वध, कंस वध, गोवर्धन पर्वत सहित कई लीलाओं का मंचन किया जाता है। एक माह पहले कृष्ण बलराम और राधिका के पात्रों का चयन किया जाता है।

नाग नथैया लीला भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं में से एक प्रमुख घटना पर आधारित है। कथा के अनुसार, यमुना नदी का जल कालिया नाग के विष से दूषित हो गया था, जिससे जलचरों, पक्षियों और आसपास के पेड़ों पर भी इसका असर पड़ रहा था। एक दिन खेल-खेल में श्रीकृष्ण की गेंद यमुना में चली गई। उसे निकालने के लिए श्रीकृष्ण यमुना में कूद पड़े और उनका सामना कालिया नाग से हुआ। भगवान ने कालिया नाग को पराजित कर उसके फन पर बांसुरी बजाई और अंत में उसे यमुना छोड़कर जाने का आदेश दिया। इस घटना के बाद यमुना का जल फिर से शुद्ध हो गया, और वृंदावन के लोग भगवान श्रीकृष्ण की जय-जयकार करने लगे। वाराणसी के तुलसी घाट पर हर साल इस घटना का मंचन किया जाता है, जिसे नाग नथैया लीला के नाम से जाना जाता है।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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