लखनऊ 27 मई: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शाम करीब 7:00 बजे राज्यपाल आनंदीबेन पटेल (Anandi Ben Patel) से मुलाकात की है। दोनों शीर्ष नेताओं की मुलाकात करीब 50 मिनट चली। इस दौरान मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को एक पुस्तक भेंट की। आपको बता दें कि इससे पहले राज्यपाल ने अपना मध्यप्रदेश दौरा रद्द करके राजभवन वापसी की थी। दरअसल, संभावनाएं व्यक्त की जा रही हैं कि शुक्रवार या शनिवार को योगी आदित्यनाथ कैबिनेट में बड़ा फेरबदल होने वाला है।
आपको बता दें इससे पहले योगी आदित्यनाथ ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से करीब 4 महीने पहले राजभवन में जाकर मुलाकात की थी। उस मुलाकात के बाद योगी सरकार के कैबिनेट विस्तार को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं। बताया जा रहा है कि इस मंत्रिमंडल फेरबदल में कई नये चेहरों को शामिल किया जायेगा और वहीं पर कुछ मंत्रियों के कामकाज से संतुष्ट न होने के कारण उन्हें सरकार से बाहर किया जा सकता है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें तेज हो गई हैं। मंत्रिमंडल के इस विस्तार को लेकर अब तक मीडिया में अलग-अलग तिथियां चलाई जाती रही हैं।
मंत्रिमंडल विस्तार की कई वजह
राज्य की योगी सरकार में मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर अटकलें पिछले कुछ महीनों से लगाई जा रही है। कोरोना वायरस संक्रमण के चलते योगी सरकार के मंत्रियों का निधन हो गया है। खास वजह है कि विधान परिषद चुनावों में गुजरात कैडर के आईएएस अधिकारी अरविंद कुमार शर्मा अपने पद से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण की। सदस्यता ग्रहण करने के दूसरे ही दिन भाजपा द्वारा उन्हें एमएलसी पद के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया था।
इस कैबिनेट विस्तार से चुनावी समीकरणों की झलक दिखेगी
सवाल यह है कि क्या केवल तीन लोगों को इस मंत्रिमंडल के विस्तार में शामिल किया जाएगा? पार्टी सूत्रों के मुताबिक यदि राज्य सरकार के मंत्रिमंडल में फेरबदल किया गया तो तीन ही नहीं बल्कि कई अन्य चेहरे भी सरकार में शामिल किये जा सकते हैं। इस फेरबदल में कुछ मंत्रियों की सरकार से छुट्टी भी की जा सकती है। सूत्रों का कहना है कि 2022 चुनाव को देखते हुए 70 की उम्र पार कर चुके कुछ मंत्रियों को संगठन के काम में भेजा जा सकता है। इस मंत्रिमंडल फेरबदल में क्षेत्रीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए, सामाजिक समीकरणों को भी साधा जा सकता है। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हर तरह से संतुलन को साधने की कोशिश करेंगे। जिससे इस फेरबदल का लाभ आगामी 2022 के विधानसभा चुनाव में उठाया जा सके।