एक झलक

वाह रे उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन सुनवाई से फिर भागे पावर कॉरपोरेशन के अधिवक्ता संयोग या साजिश ?

लखनऊ/ प्रयागराज 6 मार्च :मुख्य न्यायाधीश उत्तर प्रदेश न्यायामूर्ति श्री अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति श्री क्षितिज शैलेंद्र की खण्ड पीठ के समक्ष होनी थी निजीकरण के विषय पर सुनवाई परन्तु आज भी सरकारी व उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के सम्मानित अधिवक्ता न्यायालय में नहीं प्रस्तुत हुए जिसकी वजह से आज भी सुनवाई ना हो‌ सकी ।

आखिर क्यो उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के विद्वान अधिवक्ता न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने से घबरा रहे हैं
क्या उनके पास जन हित याचिका में लगाए गए आरोपो / प्रश्नों के उत्तर नहीं है या फिर क्या यह भारतीय प्रशासनिक सेवा/बड़का बाबुओं की सोची समझी रणनीति के अन्तर्गत किया जा रहा प्रयोग है जब वकील न्यायालय में प्रस्तुत ही नहीं होगा तो सुनवाई होगी नहीं और इन अवैध रूप से विराजमान भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को अपनी मनमानी कर के अपनी जेब भरने का मौका मिल जाएगा । इन भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारीयों ने मेमोरेंडम आफ आर्टिकल की धज्जियां उड़ाते हुए अवैध रूप से विराजमान हो कर के बृहद रूप से भ्रष्टाचार कर रहे हैं नहीं तो आज तक क्यों नहीं ऑडिट कराया गया क्यों नहीं मेमोरेंडम आर्टिकल के अनुसार अध्यक्ष प्रबंध निदेशक की नियुक्तियां हुई क्यों एक नोडल एजेंसी होते हुए उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष वितरण निगम के प्रबंधन के कार्य में हस्तक्षेप कर रहे हैं क्यों यह बुलाकर वितरण क्षेत्र के अधिकारियों को सार्वजनिक रूप से बेचना कर रहे हैं क्यों यह किसानों का अधिकार मार रहे हैं यह इनकी एक सोची समझी साजिश है जिससे कि उनकी जेब में भार सके और प्रदेश की जनता महंगाई की मार खेलते हुए गरीबी झेले क्योंकि किसी भी प्रदेश के उद्योग धंधों की रीड की हड्डी उसका ऊर्जा विभाग ही होता है और यहां यानी कि उत्तर प्रदेश के ऊर्जा विभाग में यह अनुभवहीन बड़का बाबू अपनी तानाशाही चलते हैं और सरकार को गुमराह करते हैं क्योंकि कोई भी सरकार में मंत्री ज्यादा से ज्यादा 5 साल रहता है लेकिन यह भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी जब से सेवा में आते हैं तब से 60 साल की उम्र तक यह इसी कार्य क्षेत्र में रहते हैं न जाने कितनी सरकारें आती हैं और चले जाती हैं क्योंकि सरकार के मंत्रीओ को विभागीय वस्तु स्थिति तो यही बताते हैं और यह क्यों बताने लगे की ऊर्जा विभाग में तैनातियां गलत हो रही हैं व अपने भ्रष्टाचार करके अपनी जेब में भरने के लिए एक के बाद एक भारतीय प्रचारिणी सेवा के अधिकारियों की नियुक्ति विभिन्न वितरण निगमन में होती जा रही है आखिर कब रूकेगी यह अवैध नियुक्तिया और कब रुकेगा यह भ्रष्टाचार । खैर

युद्ध अभी शेष है

 

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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