विद्युत विभाग:नटवरलाल लेखाकार का चितईपुर पुलिस ने नही ली रिमांड:पुलिस औऱ प्रबंधन की असफलता से 10 करोड़ की मनी ट्रेल पर पड़ता पर्दा: सफल होता पूर्वान्चल का लाल
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वाराणसी 25अप्रैल:””””प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में 10करोड़ के गबन की मनी ट्रेल को दफन करने की तैयारी””””पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में नटवरलाल लेखाकार केशवेन्द्र द्विवेदी निगम के 10करोड़ के गबन की वारदात को अंजाम देकर सफल होता नजर आ रहा है। नटवरलाल लेखाकार के द्वारा हड़पे गये धन की मनी ट्रेल की जांच औऱ सह आरोपियो की जांच पर पूर्वान्चल प्रबंधन 10 लाख लेकर साधी चुप्पी।
10 करोड़ के गबन में मनी ट्रेल से 10 लाख का लॉलीपाप चूसता प्रबंधन
पूर्वान्चल निगम प्रबंधन के सामने घोटालेबाज लेखाकार ने 10करोड़ के गबन की बात स्वीकार करने और प्रबंधन द्वारा FIR के दूसरे दिन लेखाकार की पत्नी जो खुद भी विभाग में कार्यरत है से प्रबंधन ने 10करोड़ के गबन के बदले मनी ट्रेल से मात्र 10 लाख रुपए लिये/ विभाग को लौटाया जिसे प्रबंधन लॉलीपाप की तरह चूस रहा और अपनी पीठ थपथपाता नजर आ रहा है वैसे घोटाले के मास्टर माइंड लेखाकार के बुने जाल में आने वाले समय में प्रबंधन के लिये सरदर्द बन सकती है और करोड़ो के गबन की रकम वसूलने के सपने में प्रबंधन हाथ मलती नजर आएगी।
इतने बड़े घोटालेबाज की रिमांड क्यों नही ली पुलिस, कही मनी ट्रेल का राज दफन करने की तैयारी तो नही
इतने बड़े घोटाले पर चितईपुर थाने में FIR होने के बाद से पुलिस की भूमिका संदेह के घेरे में है कही पुलिस घोटालेबाज केशवेन्द्र की मदद तो नही कर रही है इस तरह की चर्चाओ का बाजार गर्म है क्यों कि गबन का आरोपी लगभग 8 दिनो तक शहर में खुलेआम घूमता रहा और अपने बचाव की सारी तैयारी कर आराम से 12 अप्रैल को अदालत में सरेंडर कर दिया और 14दिन बीत गए पुलिस ने रिमांड के लिए अदालत मे कोई पत्र नही दिया आज घोटालेबाज पुनः अदालत में न्यायिक कस्टडी में हाजिर हुआ और अदालत 5 मई तक के लिए पुनः जेल भेज दिया। इससे एक बात तो साफ है कि अब पुलिस रिमांड नही लेगी और घोटाले का ओरोपी केशवेन्द्र के सहयोगी और मनी ट्रेल में शामिल पुरी गैंग शायद सुरक्षित होती नजर आ रही है।
उल्लेखनीय है कि 2019 से लगभग 10करोड़ रुपए की उ० प्र०सरकार को लेबर शेष की जमा होने वाली धनराशि विभाग का लाल लेखाकार केशवेन्द्र द्विवेदी अपने सेविंग खाते में जमाकर सरकार और विभाग को चूना लगाता रहा और अपने परिवार और रिश्तेदारों को करोड़पति बनाता रहा पर विभाग में किसी को कानो कान खबर नही हुई इसी माह 4अप्रैल को फर्म की शिकायत पर निदेशक वित्त ने ज़ब इस मामले को पकड़ा तब कही जाकर इस मामले का खुलासा हुआ। विभाग के प्रबंध निदेशक और निदेशक वित्त की बंदर घुड़की से पूछताछ में नटवरलाल लेखाकार ने बड़े बे ख़ौफ़ तरीके से विभाग के पूछताछ में अपना अपराध स्वीकार करते हुए बताया की वह कूटरचित दस्तावेज के आधार पर विभाग को अबतक करोड़ो का चूना लगा चुका है।
सब कुछ जानने के बाद रात के अंधेरे में प्रबंधन ने लेखाकार को कराया फरार
नटवरलाल लेखाकार की घोटालेबाजी की पुरी दास्तान जानने के बाद प्रबंधन ने मानो उसकी कलाकारी इनाम देते हुए गबन के आरोपी को रात लगभग 11बजे उसे बाइज्जत घर जाने का फरमान जारी करते हुए उसे आजाद कर दिया और उसी रात घोटालेबाज लेखाकार के फरार होने के बाद लगभग रात्री 12बजे विभागीय अधिकारियो की फौज चितईपुर थाने पर एक FIR दर्ज कराकर इति श्री कर लिया गया।
आरोपी ने घोटाले की FIR के बाद से अपने बचाव में सभी रास्ते किए तैयार
आरोपी लेखाकार विभाग की सभी कार्यवाही से अलग इसी शहर में रहकर खुलेआम घूमता रहा और करोड़ो के गबन से बनाए हुए साम्राज्य को सुरक्षित करते हुए पुलिस और कोर्ट की सेटिंग बनाता रहा, पुलिस उसकी गिरफ्तारी पर विभाग और मीडिया को जल्द गिरफ्तार करने का आश्वासन देती रही इसी बीच अपनी पूरी सफल तैयारी और विभागीय अधिकारियो की सलाह और मदद से 12 अप्रैल को घोटालेबाज केशवेन्द्र ने अदालत में सरेंडर कर दिया और अदालत ने 14दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।