सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की CBI को फटकार
दिल्ली9अगस्त2021: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एन वी रमन्ना ने देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई को कड़ी फटकार लगाई है और उसकी कड़ी निंदा की है। चीफ जस्टिस ने सीबीआई को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा है कि वह न्यायपालिका की मदद नहीं करती है। चीफ जस्टिस के फटकार और निंदा करने से सीबीआई बैकफुट पर आ गई है।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एन वी रमन्ना ने झारखंड के जज उत्तम आनन्द की सुबह टहलते वक़्त एक वाहन के द्वारा टक्कर मार कर हत्या कर दिए जाने के मामले की स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई करते हुए सीबीआई को बड़ी फटकार लगाई है। उन्होंने सीबीआई की निंदा करते हुए कहा है कि, सीबीआई न्यायपालिका की मदद नहीं करती है। जजों को धमकी मिलने की शिकायत की जाती है, तो भी सीबीआई न्यायपालिका की कोई मदद नहीं करती है।
एन वी रमन्ना ने सीबीआई को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि, हाईप्रोफाइल मामले, गैंगस्टर मामले और अन्य बड़े मामले में जजों को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है और धमकाया जाता है। कई बार इस तरह के मामले जानकारी में आते हैं। इसकी शिकायत की जाती है, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की जाती।
चीफ जस्टिस ने कहा कि, जजों को व्हाट्सएप, एसएमएस आदि के जरिए धमकियां मिलती हैं। इस तरह के मामले देश के हर हिस्से में देखने को मिलते हैं, लेकिन शिकायतों के बावजूद सीबीआई ने कुछ नहीं किया है। चीफ जस्टिस ने निराशा जताते हुए सीबीआई के साथ अन्य जांच एजेंसियों की भी आलोचना करते हुए उनकी भी कड़ी निंदा की है।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एन वी रमन्ना यहीं पर नहीं रुके हैं बल्कि उन्होंने सीबीआई की निंदा करते हुए कहा है कि, हमें उम्मीद थी कि सीबीआई के बर्ताव में बदलाव आएगा, लेकिन उसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है। चीफ जस्टिस एन वी रमन्ना ने सीबीआई की और अन्य जांच एजेंसियों की निंदा करते हुए कहा कि, हमारे पास इसके अलावा कोई चारा नहीं है। झारखंड के जज उत्तम आनन्द की हत्या की सुनवाई करते समय चीफ जस्टिस एन वी रमन्ना ने सीबीआई जमकर फटकार लगाई।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कोर्ट में अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि, देश में आजकल एक नया चलन शुरू हो गया है। पक्ष में फैसला नहीं आने पर न्यायाधीशों को बदनाम किया जाता है। यह चलन बहुत ही गलत है। उन्होंने कहा कि, जज अगर पुलिस और सीबीआई में शिकायत करते हैं, तो सीबीआई और पुलिस जवाब नहीं देती है। खुफिया एजेंसियों द्वारा हमारी बिल्कुल मदद नहीं की जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने झारखंड में जज उत्तम आनन्द की हत्या को लेकर भी कड़ी नाराजगी जताई और राज्य सरकार पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि, युवा न्यायाधीश की मौत राज्य सरकार की विफलता है। उन्होंने कहा कि, जजों के आवासों की सुरक्षा की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि, कुछ जगहों पर अदालत ने सीबीआई को जांच करने का आदेश दिया है, लेकिन सीबीआई ने अभी तक कुछ नहीं किया है। सुप्रीम कोर्ट में सरकार का पक्ष रख रहे अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने भी चीफ जस्टिस एन वी रमन्ना की सीबीआई को लेकर की गई कड़ी निंदा और टिप्पणी से सहमति जताई है।
अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल का इस संबंध में कहना है कि, न्यायाधीशों को हमलों से बचाया जाना चाहिए और उनकी सुरक्षा की जानी चाहिए। आज के समय में जजों की सुरक्षा बढ़ाए जाने की ज़रूरत है। पुलिस, सीबीआई और अन्य जांच एजेंसियों द्वारा जब जजों की सुनवाई नहीं की जाती है, तो आम आदमी के साथ यह एजेंसी कैसा बर्ताब करती होंगी। इसका केवल अंदाजा ही लगाया जा सकता है। इनके द्वारा आम आदमी को खूब परेशान किया जाता है और उसका उत्पीड़न किया जाता है। अगर यह एजेंसी सही तरीके से काम कर रही होती तो सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को इनकी निंदा न करनी पड़ती।
इन एजेंसियों के काम करने के तरीके को करीब से समझने के लिए हमें जुलाई 2021 की एक घटित हुई घटना को समझना होगा। जुलाई माह के अंतिम दिनों में यूपी के फतेहपुर जिले में नियुक्त एडिशनल जिला जज और पॉस्को कोर्ट के जज मोहम्मद अहमद खान अपनी गाड़ी से इलाहाबाद से फतेहपुर आ रहे थे। इलाहाबाद और फतेहपुर के बीच पड़ने वाले कौशांबी जिले में कोखराज थाने के अंतर्गत रोड पर चल रही जज की गाड़ी को एक गाड़ी ने टक्कर मार दी। इसमें गाड़ी तो छतिग्रस्त हुई ही बल्कि जज मोहम्मद अहमद खान, और उनका अंगरक्षक एवं उनकी गाड़ी का चालक भी घायल हो गए।
जज मोहम्मद अहमद खान ने नज़दीकी पुलिस थाने कोखराज जाकर इस मामले की तहरीर दी और एफआईआर दर्ज करने के लिए कहा। पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली, क्योंकि जज साहब का मामला था, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की।
इसके बाद कौशाम्बी के पुलिस अधीक्षक राधेश्याम सामने आए और उन्होंने इस मामले को एक हादसा बताकर खत्म कर दिया। पुलिस अधीक्षक ने इस मामले को गम्भीरता के साथ नहीं लिया। जबकि यहां पर यह मालूम होना चाहिए कि जज मोहम्मद अहमद खान पॉस्को कोर्ट के जज हैं और उनकी अदालत में बड़े मामले सुने जाते हैं और जज साहब का बड़े-बड़े अपराधियों से आमना- सामना होता है। ऐसे में जज साहब के साथ घटी घटना को एक हादसा बताकर खत्म कर देना, कहीं से भी न्यायोचित नहीं कहा जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि मोहम्मद अहमद खान फतेहपुर के पहले बरेली में नियुक्त थे। बरेली में एक अपराधी की ज़मानत याचिका को उन्होंने खारिज़ कर दिया था, जिसके बाद सम्बंधित अपराधी ने जज मोहम्मद अहमद खान को उनके परिवार सहित उन्हें खत्म करने की धमकी दी थी। जज साहब ने तत्कालीन समय में इसकी सूचना अपने वरिष्ठ जजों को दी थी और कार्यवाही करने के लिए कहा था। इसीके बाद मोहम्मद अहमद खान का तबादला बरेली से फतेहपुर कर दिया गया था। फतेहपुर जिले में उन्हें पॉस्को कोर्ट की बड़ी जिम्मेदारी दी गई है।
ऐसे में कौशाम्बी के पुलिस अधीक्षक राधेश्याम द्वारा जज साहब के साथ घटी घटना को एक हादसा बता कर खत्म कर देना सरासर गलत है। इस प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच की जानी चाहिए, लेकिन पुलिस अधीक्षक ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई और मामले को हादसा बताकर खत्म कर दिया। जज मोहम्मद अहमद खान का आरोप है कि, “इस मामले को पुलिस ने जानबूझकर खत्म कर दिया है, मुझे आशंका है कि अपराधियों द्वारा मेरी हत्या करने के लिए यह घटना की गई है।”
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एन वी रमन्ना द्वारा सीबीआई को फटकार लगाते हुए उसकी निंदा करने से सीबीआई बैकफुट पर आ गई है। सीबीआई के ऊपर पहले से ही आरोप लगाया जाता है कि वह केन्द्र सरकार के इशारे पर काम करती है और उसके हाथ की कठपुतली है। केन्द्र सरकार सीबीआई का दुरुपयोग अपने विरोधियों को परेशान करने के लिए करती है। केन्द्र सरकार का जो भी विरोध करता है, उसके पीछे सीबीआई लगा देती है और सीबीआई केंद्र सरकार के इशारे पर संबंधित का उत्पीड़न करती है।
केन्द्र सरकार के इशारे पर पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव में सीबीआई ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे के यहां पर छापा मारा था। लेकिन सीबीआई के हाथ कुछ नहीं लगा था। केन्द्र सरकार ममता बनर्जी के चुनाव को डिस्टर्ब करना चाहती थी। लेकिन उसे निराशा मिली और सीबीआई एवं मोदी सरकार की खूब आलोचना हुई। इसी प्रकार कुछ समय पूर्व सीबीआई ने उत्तर प्रदेश में गोमती रिवर फ्रंट के काम को लेकर खूब छापेमारी की। इस छापेमारी के जरिए वह अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह यादव को परेशान करना चाहती थी, जिससे उनका विधानसभा चुनाव प्रभावित हो जाए। क्योंकि शिवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की बात कही थी। इसीके बाद सीबीआई ने तुरंत छापामारी की थी।
यह अब किसी से छिपा नहीं है कि सीबीआई केन्द्र सरकार की कठपुतली है। देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई को कड़ी फटकार लगाते हुए और उसकी निंदा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने देश और केंद्र सरकार को एक बड़ा सन्देश दिया है। इसको समझने वाले इसका अर्थ समझ रहे हैं। ऐसे में जो इसका अर्थ न समझे, वह बहुत बड़ा मूर्ख है या तो जान बूझकर इस पर चुप्पी साधे हुए है। लेकिन उसकी चुप्पी साधे रहने से सच्चाई नहीं छुप सकेगी।
चीफ जस्टिस एन वी रमन्ना की टिप्पणी उन राज्य सरकारों के ऊपर भी है, जो मनमाफिक फैसला न आने पर न्यायाधीशों की आलोचना करती हैं और कोर्ट के आदेश के विरुद्ध उच्च न्यायालय जाने का काम करती हैं। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एन वी रमन्ना ने सीबीआई की कड़ी निंदा करते हुए केंद्र सरकार को बहुत बड़ा संदेश देने का काम किया है। सीबीआई केंद्र सरकार के अधीन है।
इस प्रकार चीफ जस्टिस ने सीबीआई की निंदा करते हुए केंद्र सरकार को सही तरीके से काम करने के प्रति भी चेताया है। बाकी केंद्र सरकार पर निर्भर करता है कि वह चीफ जस्टिस की सीबीआई को लगाई गई फटकार और उसकी निंदा करने का क्या अर्थ निकालती है।