कविता-कहानी
हमें अपने भीतर भी कृष्ण को जन्म देना होगा
25अगस्त2021
जिसे सीमित शब्दों में परिभाषित किया जा सके वो कभी भी कृष्ण नहीं हो सकता क्योंकि कृष्ण होने का अर्थ ही यह है कि जिसके लिए सारे शब्द कम पड़ जाएं व सारी उपमाएं छोटी। जो दूसरों के चित्त को अपनी ओर आकर्षित करे वो श्रीकृष्ण है।
बाल भाव से बच्चे उनकी तरफ खिंचते हैं तो प्रौढ़ गाम्भीर्य भाव से। कान्त भाव से गोपियाँ उनको अपना सर्वस्व दे बैठीँ तो योगिराज बनकर उन्होंने योगियों को अपना बनाया। केवल बाहर ही नहीं अपितु हमें अपने भीतर भी कृष्ण को जन्म देना होगा।
अनीति व अत्याचार के विरोध की सामर्थ्य, कठिनतम परिस्थितियों में भी धर्म रक्षार्थ कृत संकल्प, पग-पग पर अधर्म को चुनौती देने का साहस व प्रत्येक कर्म का पूर्ण निष्ठा से निर्वहन, वास्तव में अपने भीतर कृष्ण को जन्म देना ही है।