हलाते पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम,पूर्वांचल के बडकऊ के निशाने पर अब आभियन्ता संघ के नेता व सदस्य
वाराणसी 13 जून अभियन्ता संघ के भ्रष्टाचारी अध्यक्ष और भ्रष्टाचारी महासचिव के नेत्रहीन अगुवाई के कारण अब प्रदेश के विभिन्न हिस्सो मे अब संघ के सदस्यो पर अवैध रूप से नियुक्त बडका बाबूओ ने भी अपने निशाने पर लेना शुरू कर दिया है इसी क्रम मे पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम मे अवैध रूप से तैनात बडका बाबू जिसे अब लोग दुर्योधन की संज्ञा देने लगे है उनके द्वारा उत्पीड़न शुरू कर दिया गया है अचानक बिना पूर्व सूचना यानि बिना किसी प्रोटोकॉल के अपने निवास स्थान से निकल कर सीधे वाराणसी के सप्तम (7) वितरण खण्ड मे पहुंच कर निरीक्षण का नाटक करने लगे कभी कैश काउंटर पर जाते तो कभी अभियन्ता कार्यालय कार्यालय मे जा कर दस्तावेजो के निरीक्षण के बहाने उठा पटक करने लगे ऐसा व्यवहार जैसे कोई व्यक्तिगत दुश्मनी मे करता है और इसी दौरान जनाब के मोबाइल फोन पर किसी फोन आता है और जनाब आनन फानन मे दस्तावेजो लगभग फेकते हुए उस दफ्तर से निकल जाते है लेकिन इस दौरान बडकऊ की पूछ यानि विभागीय चिपकू उर्फ शकुनी मामा पूरी मुस्तैदी के साथ खडे दिखे और अपनी कुटिल मुस्कुराहट फेक कर अपने साथी अभियन्ता को अपमानित करने का कार्य कर रहे थे ।
प्रताणना से दुःखी अधिकारीयो ने समय से पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्त लेने को मजबूर
रोज रोज की असमय विडियो कान्फ्रेंसिंग और उसमे बडकऊ के द्वारा अपमानित करने व अश्लील शब्दो से नवाजे जाने के कारण मानसिक उत्पीड़न झेल रहे है क्यो कि जिस अभियन्ता संघ के पास यह अधिकारीगण अपने उत्पीड़न की व्यथा सुनाने जाते थे उसके अध्यक्ष के ऊपर खुद ही परिवर्तक घोटाले के भ्रष्टाचार को ले आज कल कार्यवाही की तलवार लटक रही है और संघ के महासचिव का क्या कहना बडे मिया तो बडे मिया छोटे मिया सुभान अल्लाह जनाब के तो कहने ही क्या । यह तो बिना कार्य किये ही मुफ्त की तनख्वाह उठाते आ रहे है और जब जनाब को कार्य आवंटन हुआ तो बेवजह अभियन्ताओ को भड़का कर आदोलन करने चल दिये यह जनाब मात्र छः साल की नौकरी मे 25 लाख की गाडी से चलते है तो आप खुद ही आक ले इनकी ईमानदारी । इन्होने बेवजह के आन्दोलन किया जिसे प्रबन्धन ने एक बहुत ही सख्त रूप अपनाते हुए रौद कर रख दिया । नतीजा ऐसा निकला कि अभियन्ता संघ के इतिहास का सबसे बुरा समझौता होता है और संघ को इन भ्रष्टाचारीयो की तरफ से लिखित रूप से माफी मागी पड जाती है और महासचिव महोदय को अन्तः वही करना पडा जो प्रबन्धन चाहता था यानि आवन्टित जगह पर जा कार्यभार समालना पडा यानि वही थूका हुआ चाटना पडा । जब किसी भी संघटन का ऐसा शीर्ष भ्रष्टाचारी नेतृत्व होगा और जिसे अपने 14 साल पूर्व सेवानिवृत्त साधी के मार्गदर्शन मे कार्य करना पडता हो और उसी सेवानिवृत्त अधिकारी के दिशानिर्देश पर पूरा संघ चलता हो तो उस संघ की दशा यही होगी । जिस सघं के सदस्य अपने ही साथी अभियन्ताओ की प्रबन्धन के साथ मिल कर अपने फायदे के लिए चुगलखोरी करता हो तो उसके सदस्य अश्लील शब्दो से ही नवाजे जाऐगे । कुछ स्वभिमानी लोग इस प्रताणना से तग आ कर समय पूर्व ही सेवानिवृत्त ले रहे है और जिस संघ को इनकी परेशानीयो को प्रबन्धन के सामने रखने की जिम्मेदारी उठानी चाहिए थी उसके अध्यक्ष व महासचिव अपने भ्रष्टाचारी कुकृत्यो की वजह से अपनी नौकरीया बचाने मे लगा हुए है तो उस संगठन को कौन बचाएगा ? एक समय था जब पूर्व अध्यक्ष पावर कारपोरेशन ने अभियंताओ को बेइज्जत किया था तो यही संगठन उनका विरोध करता था परन्तु आज वो ही संगठन के अध्यक्ष और महासचिव जो प्रबन्धन के आगे दुम हिला कर अपनी नौकरी बचाते है और प्रबन्धन के चम्चो की चम्चागिरी करने की नौबत आ गयी है । उदाहरण के तौर पर अगर आप पूर्वांचल मे तैनात है और आप अगर चिपकू की चरण वदना नही करेगे तो यह शकुनी मामा अपनी चाल बाजीयो से अपको प्रताड़ित करेगा या तो आप इसकी शरण मे जाओगै या फिर अपमानित हो कर नौकरी करो या इनकी चालबाजीयो मे फस कर नौकरी गवाओ । वैसे पूर्वांचल मे चिपकू ही एक तरह से प्रबन्धन निदेशक है और उसको खुश करने के लिए अपना बाया हाथ उठा कर चिपकू जिन्दाबाद का जो नारा लगाएगा वो तो ठीक है उसका होगा कल्याण वर्ना होगा फिल भी कल्याण होगा । अब यह आपको सोचना है कि किस तरीके का कल्याण आप चाहते हो । खैर
युद्ध अभी शेष है
अविजित आनन्द संपादक और चन्द्र शेखर सिंह प्रबन्ध संपादक समय का उपभोक्ता साप्ताहिक समाचार पत्र लखनऊ