हाय हाय पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम,प्रबंधनिदेशक के आवास पर ठेकेदारों ने दिया एतिहासिक धरना
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वाराणसी 19 सितंबर:पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में कार्य करने वाली कार्यदायी कम्पनियों के ठेकेदारों द्वारा विभाग से भुगतान न मिलने से नाराज ठेकेदारों ने ठेकेदार कल्याण सेवा संस्था के बैनर तले एकत्रित होकर पूर्वांचल के प्रबंधनिदेशक के आवास पर जबरदस्त धरना दिया
धरना स्थल पर ठेकेदारो द्वारा विभागीय अधिकारियों के शोषण और काम कराने के बावजूद भुगतान न दिए जाने के विरुद्ध मण्डल/ खण्ड एवं उपखण्ड स्तर पर कार्य पूरा होने के बावजूद सालों तक बिल रोकर रखने और उत्पीड़न किये जाने जैसी पांच सूत्री मांगों को लेकर धरना दे रहे थे धरना शुरू होते ही मौके पर निदेशक कार्मिक व प्रशासन ने पहुच कर ठेकेदारों को समझाने का प्रयास किया परन्तु उनकी कोशिश असफल साबित हुई। प्रबंधनिदेशक के पैर में फैक्चर होने के कारण आंदोलनकारी ठेकेदारों से वार्ता करना सम्भव नही था करीब आधे घंटे चले हंगामे के बाद निदेशक तकनीकी पी पी सिंह धरना स्थल पर पहुचे और प्रबंधनिदेशक को समूचे घटना की जानकारी देने के बाद आंदोलन कर रहे ठेकेदारों से वार्ता करी और उनकी मांगों को गम्भीरता पूर्वक सुनते हुए उनके भुगतान कराने का आश्वासन दिया एवं अन्य समस्याओं पर कार्यालय में वार्ता करने का आश्वासन दे कर धरना समाप्त करवाया।
प्रबंधनिदेशक के आवास पर धरना कराने का जिम्मेदार कौन
प्रबंधनिदेशक के आवास पर पहली बार ठेकेदारों के इस धरना प्रदर्शन के जिम्मेदारो की पड़ताल जब समय का उपभोक्ता समाचार के प्रबन्ध सम्पादक द्वारा की गयी तो कई चौकाने वाले खुलासे सामने आए ठेकेदारों द्वारा अपने संगठन के द्वारा 9 सितंबर को अपनी मांग पत्र को डिस्कॉम मुख्यालय पर दिया गया जिसमें उनकी समस्यायों लिखी थी उसके बाद डिस्कॉम के केयर टेकर डायरेक्टर फाइनेंस से ठेकेदार संघ ने दो दिन पूर्व मुलाकात कर अपनी समस्या से अवगत कराया परन्तु जनाब चांदी के जूते से मुंह सुजवाने के शौकीन, मंहगे मोबाइल फोन में पिक्चर और गेम खेलने के आशिक डायरेक्टर ने बगैर चांदी के सिक्के की खनक की आवाज ठेकेदारों की समस्या को गम्भीरता से सुनना मुनासिब ही नही समझा यह जानते हुए कि 19 सितंबर को प्रबंधनिदेशक के आवास पर धरना प्रदर्शन हो सकता है परन्तु जनाब चुपखे से आये जूता खा कर बन्द कमरे मे मुह सुजवाय और जिसमे जूता खाया था उस काम को निस्तारित कर चुपके से सरक लिए शायद अगर बन्द कमरे मे काम के समय दक्षिण भारतीय पिक्चर देखने के शौकी निदेशक वित्त द्वारा मामले की गम्भीरता को समझते हुए प्रबंधनिदेशक से वार्ता कर परेशान ठेकेदारों की समस्या का हल निकाला होता तो बीमार प्रबंधनिदेशक के आवास पर होने वाले इस आंदोलन को रोका जा सकता था। खैर
युद्ध अभी शेष है