23जून को आरएसएस मनाएगा हिंदू साम्राज्य पर्व
वाराणसी22जून2021राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने राष्ट्र निर्माण के अपने अनवरत, अथक प्रयास के 95 वर्ष सफलतापूर्वक पूर्ण करके 96 वें वर्ष में प्रवेश कर लिया है। ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि कर्मयोगियों एवं भारत माता के सच्चे सपूतों से विरासत में मिले उन विचारों का हस्तांतरण नवीन पीढ़ी के स्वयंसेवकों में हो,
जिनको केंद्र में रख कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की आधारशीला रखी गई थी। यदि ये प्रासंगिक विचार एवं आचरण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित नहीं होंगे तो ये विलुप्तप्राय हो जाएंगे।
ऐसे में हिन्दू हृदय सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज के उस देश काल खंड के प्रासंगिक विचार एवं आचरण का अनुसरण किए बिना हिन्दू राष्ट्र की परिकल्पना कर पाना असंभव सा प्रतीत होता है। शिवाजी महाराज का समूचा व्यक्तित्व सम्पूर्ण हिन्दू समाज के लिए आज भी मूर्तिमंत आदर्श है।
आज ही के दिन 347 वर्ष पूर्व जेष्ठ शुक्ल त्रयोदशी के दिन सन 1674 को छत्रपति शिवाजी का राज्याभिषेक हुआ था। यह दिन सम्पूर्ण हिन्दू समाज के लिए गौरव दिवस था, इस लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आज के गौरवशाली दिवस को हिन्दू साम्राज्य पर्व के रूप में आयोजित करता हैं। इस बार भी आयोजित होगा। सभी शाखाएं लगेंगी यहां उनके राज्याभिषेक से जुड़ी एक रोचक जानकारी मिलती है, शिवाजी भोसले समुदाय से आते थे, जिन्हें ब्राह्मण क्षत्रिय नहीं मानते थेI ऐसी परिस्थिति में उत्तर भारत में काशी के ब्राह्मण गंगा भट्ट से उनके क्षत्रिय कुल का होने की पुष्टि कराई गई। इसके पश्चात उनका भव्य राज्याभिषेक हुआ I
इस प्रकार हिन्दू साम्राज्य की नीव स्थापित करने में काशी की महती भूमिका रही I यद्यपि हम छत्रपति शिवाजी महाराज के कालखंड पर दृष्टिपात करें तो पाएंगे कि आज की समस्यागत परिस्थिति और उस देश,काल की परिस्थिथिति में तुलनात्मक रूप से अधिक विभेद नहीं था। आत्मविस्मृत समाज, विघटित समाज, सांस्कृतिक विभेद चहुँओर दिखाई दे रहा था।
शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के समय तक इस राष्ट्र की सामाजिक , धार्मिक एवं सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण कर हिन्दू राष्ट्र की बहुआयामी उन्नति करने के जो प्रयास चले थे, वे बार- बार विफल हो रहे थे। इनके संरक्षण के लिए अनेकों राज्यों के शासकों का संघर्ष जारी था।