अपना देश

विरोध के चलते चंडीगढ़ विद्युत विभाग को निजी हाथों में सौंपने का फैसला फिलहाल टला:एलओआई रद्द नही हो जाता तब तक नागरिकों और कर्मचारियों का जारी रहेगा विरोध

चंडीगढ़7 जनवरी :चंडीगढ़ प्रशासन ने पहली जनवरी से बिजली विभाग को निजी हाथों में सौंपने का फैसले को एक महीने के लिए टाल दिया है। इलेक्ट्रिसिटी एम्पलाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया (ईईएफआई) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाष लांबा चंडीगढ़ प्रशासन के फैसले को चंडीगढ़ की आम जनता, किसानों, ग्रामीणों की अलग अलग जत्थेबंदियों और कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, सीपीआईएम व सीपीआई आदि राजनीतिक दलों के निरंतर विरोध की जीत करार दिया है। उन्होंने बताया कि 8-9 जनवरी को ईईएफआई की वर्किंग कमेटी की मीटिंग नई दिल्ली में होने जा रही है। जिसमें केन्द्र सरकार द्वारा चंडीगढ़ और उप्र सरकार द्वारा पूर्वाचल व दक्षिणांचल डिस्कॉम व राजस्थान सरकार द्वारा उत्पादन एवं डिस्कॉम को निजी हाथों में सौंपने के खिलाफ आंदोलन को तेज करने का फैसला लिया जाएगा। उन्होंने चंडीगढ़ प्रशासन का फैसला जनता एवं कर्मियों के निरंतर चल रहे आंदोलन की जीत: सुभाष लांबा पावर डिपार्टमेंट को निजी हाथों में सौंपने के खिलाफ चल रहे आंदोलन के साथ एकजुटता प्रकट करने के लिए नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी आफ इलेक्ट्रिसिटी एम्पलाइज एंड इंजीनियर और विशेषकर हरियाणा, पंजाब, हिमाचल व जम्मू-कश्मीर के बिजली कर्मचारियों एवं इंजीनियर का आभार व्यक्त किया है। निजीकरण के खिलाफ चंडीगढ़ में जनता एवं कर्मचारियों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे यूटी पावर मैन यूनियन के महासचिव गोपाल दत्त जोशी व अध्यक्ष अमरिक सिंह ने चंडीगढ़ प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि जब तक एलओआई रद्द नही हो जाता तब तक नागरिकों और कर्मचारियों का विरोध जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही नागरिकों और कर्मचारियों की संयुक्त बैठक की जाएगी और विरोध को तेज करने की योजना बनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि जनता के बीच निजीकरण के खिलाफ जन जागरण अभियान जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि जनता की परिस्थितियों को किसी भी कीमत पर निजी हाथों में सौंपने नहीं दिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि प्रति वर्ष सैकड़ों करोड़ का मुनाफा कमाने वाले चंडीगढ़ पावर डिपार्टमेंट को एक

निजी कंपनी को कौड़ियों के भाव में बेच दिया गया है। जिसका नागरिक और बिजली कर्मचारी विरोध कर रहे थे। इलेक्ट्रिसिटी एम्पलाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाष लांबा, सुरेश राठी, रतन सिंह मुजारी, हीरा लाल वर्मा व सचिव सुदीप दत्ता ने बताया कि केंद्र सरकार के निर्देश पर चंडीगढ़ प्रशासन ने बिजली विभाग को निजी हाथों में सौंपने का फैसला किया था। प्रशासन ने बकायदा 21 नवंबर को लेटर आफ इन्टेंट (एलओआई) भी कर दिया था। जिसके तहत पहली जनवरी को प्रशासन ने बिजली विभाग को निजी कंपनी को हैंडओवर करना था। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष लांबा ने बताया कि इस फैसले के खिलाफ बिजली व अन्य विभागों के कर्मचारियों ने 22 नवंबर को सेक्टर 17 में आक्रोश जन सभा करके निजीकरण के खिलाफ निर्णायक आंदोलन छेड़ने का ऐलान किया था। जन सभा में हरियाणा, पंजाब, हिमाचल व जम्मू-कश्मीर के बिजली कर्मचारियों और रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन व पिंड संधर्ष कमेटी के प्रतिनिधियों ने शामिल होकर एकजुटता प्रकट की।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *