फरवरी 2024 को पेश किए जाने वाले बजट में कोई ‘बड़ी घोषणा’ नहीं होगी-निर्मला सीतारमण
नई दिल्ली12 दिसंबर :इस बार 1 फरवरी 2024 को सरकार की तरफ से अंतरिम बजट पेश किया जाएगा. अगर आप भी बजट को लेकर अभी से इंतजार कर रहे हैं तो यह खबर आपको जरूर पढ़नी चाहिए. जी हां, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि एक फरवरी 2024 को पेश किए जाने वाले बजट में कोई ‘बड़ी घोषणा’ नहीं होगी.
उन्होंने कहा यह आम चुनाव से पहले लेखानुदान होगा. वित्त मंत्री ने कहा कि ‘यह सच है कि एक फरवरी 2024 को जो बजट घोषित किया जाएगा वह सिर्फ ‘वोट ऑन अकाउंट’ होगा क्योंकि हम चुनाव की तैयारी में होंगे. इसलिए सरकार जो बजट पेश करेगी वह सिर्फ तब तक के लिए सरकारी खर्चों को पूरा करने के वास्ते होगा जब तक कोई नई सरकार नहीं बन जाती.’
ब्रिटिश परंपरा के अनुसार इसे ‘वोट ऑन अकाउंट’ कहा जाएगा
भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) और वित्त मंत्रालय द्वारा आयोजित वैश्विक आर्थिक नीति मंच-2023 के दौरान सीतारमण ने कहा कि देश तब 2024 की गर्मियों में होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रहा होगा. ब्रिटिश परंपरा का पालन करते हुए एक फरवरी के बजट को ‘वोट ऑन अकाउंट’ कहा जाएगा.
सीतारमण ने कहा, ‘उस (चुनाव के) समय (वोट ऑन अकाउंट में) कोई बड़ी घोषणा नहीं होती. इसलिए आपको नई सरकार आने और जुलाई 2024 में अगला पूर्ण बजट पेश करने तक का इंतजार करना होगा.’
नई सरकार बनने तक का खर्चा दिया जाएगा
सीतारमण एक फरवरी 2024 को लोकसभा में एक अप्रैल 2024 से शुरू होने वाले वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अंतरिम बजट पेश करेंगी. अंतरिम बजट को ‘वोट ऑन अकाउंट’ भी कहा जाता है. मौजूदा सरकार को आम चुनाव के बाद नई सरकार बनने तक का खर्चा दिया जाएगा.
दूसरी तरफ वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि विकसित देशों द्वारा अपने ग्रीन कमिटमेंट को पूरा करने के लिए सीमा पार समायोजन कर लगाने का कोई भी कदम नैतिक रूप से सही नहीं है और ‘ग्लोबल साउथ’ के विकासशील देशों के हितों के खिलाफ है.
‘ग्लोबल साउथ’ से तात्पर्य उन देशों से है जिन्हें अक्सर विकासशील, कम विकसित अथवा अविकसित के रूप में जाना जाता है, ये मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लातिन अमेरिका में स्थित हैं. सीआईआई (CII) और वित्त मंत्रालय द्वारा आयोजित वैश्विक आर्थिक नीति मंच 2023 में केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि सीमा समायोजन कर लगाने का एकतरफा निर्णय…’ग्लोबल साउथ’ के लिए चिंता का विषय है.
उन्होंने कहा, ‘सीमा पार (टैक्स) लगाना और वह पैसा किसी और के हरित एजेंडे में लगाया जाना बिल्कुल भी नैतिक नहीं है.’