विद्युत विभाग:एनर्जी टास्क फोर्स को गुमराह कर रहे चेयरमैन:बिजलीकर्मियों का फूट गुस्सा:प्रदेश में निजीकरण के ख़िलाफ़ आंदोलन औऱ तेज

लखनऊ/वाराणसी 17 मई: पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन पर एनर्जी टास्क फोर्स को गुमराह करने का आरोप,
एनर्जी टास्क फोर्स द्वारा लिए गए एकतरफा निर्णय से बिजली कर्मियों में फूटा गुस्सा,
वर्क टू रूल आंदोलन के साथ भोजनावकाश में प्रदेश भ में हुए विरोध प्रदर्शन,
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने पावर कारपोरेशन के चेयरमैन पर आरोप लगाया है कि उन्होंने एनर्जी टास्क फोर्स को गुमराह किया है । निजीकरण के बारे में बिजली कर्मियों की आपत्तियों से उन्होंने एनर्जी टास्क फोर्स को पूरी तरह अवगत नहीं कराया। एनर्जी टास्क फोर्स द्वारा पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के बारे में लिए गए एकतरफा फैसले से आज प्रदेश भर में बिजली कर्मचारियों में गुस्सा दिखा। बिजली कर्मचारियों ने वर्क टू रूल आंदोलन के साथ भोजन अवकाश के दौरान समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर विरोध प्रदर्शन किया।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने आज यहां बताया कि पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन ने एनर्जी टास्क फोर्स के सामने विद्युत वितरण निगमों के घाटे के गलत आंकड़े रखे हैं। पॉवर कारपोरेशन ने एनर्जी टास्क फोर्स को अगले वित्तीय वर्ष में 65000 करोड़ रुपए के घाटे की बात बताई है जबकि पॉवर कारपोरेशन ने ही विद्युत नियामक आयोग को सौंपे गए ए आर आर में अगले वित्तीय वर्ष में 9206 करोड रुपए के घाटे की बात कही है। संघर्ष समिति ने कहा कि घाटे के संबंध में पावर कॉरपोरेशन द्वारा लगातार बताए जा रहे भ्रामक और झूठे आंकड़ों का खंडन करते हुए संघर्ष समिति ने 12 मई को पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन और प्रबंधन के सामने एक पीपीटी प्रेजेंटेशन किया था। इस पीपीटी प्रेजेंटेशन में बताया गया था कि यदि सरकारी विभागों का बिजली राजस्व का बकाया मिल जाए और समय से सब्सिडी की धनराशि मिल जाए तो पावर कार्पोरेशन किसी प्रकार के घाटे में नहीं है। पीपीटी प्रेजेंटेशन में यह भी बताया गया था कि गलत पावर परचेज एग्रीमेंट के चलते विगत वर्ष विद्युत वितरण निगमों ने बिना एक भी यूनिट बिजली खरीदे 6761 करोड रुपए का भुगतान किया है। इसके अतिरिक्त बहुत महंगे पावर परचेज एग्रीमेंट के चलते विद्युत वितरण निगमों ने कुल 16282 करोड रुपए का अतिरिक्त भुगतान किया। यदि पावर परचेज एग्रीमेंट को पुनरीक्षित किया जाए तो 16282 करोड रुपए बचाए जा सकते हैं और विद्युत वितरण निगम किसी प्रकार के घाटे में नहीं है। इस पीपीटी प्रेजेंटेशन के बाद पावर कारपोरेशन के चेयरमैन और प्रबंधन ने यह कहा था कि बहुत अच्छा प्रेजेंटेशन है इस पर आगे वार्ता की जाएगी। किंतु आज तक कोई वार्ता नहीं की गई और एनर्जी टास्क फोर्स के सामने गलत आंकड़े रखे गए।
कर्मचारियों की सेवा शर्तों के मामले में भी पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन ने एनर्जी टास्क फोर्स के सामने संघर्ष समिति द्वारा उठाए गए किसी भी बिंदु को नहीं रखा। संघर्ष समिति ने कहा कि 05 अप्रैल 2018 को ऊर्जा मंत्री, 06 अक्टूबर 2020 को वित्त मंत्री एवं ऊर्जा मंत्री, 03 दिसंबर 2022 को ऊर्जा मंत्री और 19 मार्च 2013 को ऊर्जा मंत्री के साथ हुए समझौते को मानने से पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन ने मना कर दिया है, ऐसे में निजीकरण के बाद जब पूरा मैनेजमेंट निजी घरानों के पास होगा तब पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन द्वारा सेवा शर्तों को लेकर किए जा रहे वायदे कागज का टुकड़ा मात्र होंगे। संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण के पहले ही 45 प्रतिशत संविदा कर्मी हटाए जा रहे है। ऐसे में निजीकरण के बाद नौकरी बने रहने के चेयरमैन के वायदे पर कैसे भरोसा किया जा सकता है।
संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली कर्मचारी पॉवर कॉरपोरेशन के चेयरमैन द्वारा दिए जा रहे झूठे आंकड़े, धमकी और उत्पीड़न की कार्यवाहियों से डरने वाले नहीं हैं। निजीकरण न ही उपभोक्ताओं के हित में है और न ही कर्मचारियों के हित में। संघर्ष समिति निजीकरण के विरोध में निर्णायक संघर्ष के लिए तैयार है। यह संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक निजीकरण का फैसला वापस नहीं लिया जाता।
निजीकरण के विरोध में चल रहे वर्क टू रूल आंदोलन के चौथे दिन आज बिजली कर्मचारियों ने प्रातः 10 बजे से सायं 05 बजे तक ही कार्य किया। बिजली कर्मियों ने 05 बजे के बाद उपभोक्ताओं को कोई दिक्कत नहीं होने दी किन्तु प्रबंधन के साथ पूरी तरह असहयोग किया। एनर्जी टास्क फोर्स द्वारा निजीकरण के बारे में लिए गए एकतरफा निर्णय के विरोध में आज प्रदेश भर में समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर विरोध प्रदर्शन किया गया।