विद्युत विभाग:निदेशको के चयन में विभागीय अभियंताओं को चयनित करने की मांग: विभागीय अभियंताओ का देश के ऊर्जा क्षेत्र में रहा अहम योगदान-अभियन्ता संध
लखनऊ/वाराणासी 25 अक्टूबर:बिजली विभाग में निदेशको के पदों पर बाहरी गैर विभागीय इंजीनियरो के चयन के फलस्वरूप विभाग और उत्तर प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली से अनभिज्ञता से विभाग की बेहतरी में कोई उल्लेखनीय कार्य नही किये जाने पर अभियन्ता संध ने ऊ०प्र० शासन, ऊर्जा विभाग से आगामी होने वाले निदेशको के चयन में विभागीय अभियंताओं को ही चयनित किये जाने की मांग/अनुरोध किया।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद अभियन्ता संध के महासचिव, जितेंद्र सिंह गुर्जर ने प्रमुख सचिव, ऊर्जा को लिखे पत्र में कहा है कि विभाग के अभियंताओ ने देश के पहले 50/100/200 मेगावाट की तापीय परियोजनाओं की स्थापना एवं देश के पहले 200/400/765 केवी पारेषण सिस्टम के निर्माण उत्तर प्रदेश के बिजली विभाग के अभियंताओ ने ही किया है साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र के NTPC limited औऱ पावर ग्रिड कारपोरेशन की स्थापना में भी प्रदेश के बिजली अभियंताओ का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इसके विपरीत प्रदेश में निदेशको के चयन में विभाग के अभियंताओ की क़ाबलियत को नजरअंदाज कर अन्य राज्यो/केंद्र सरकार के उपक्रमो यथा उड़ीसा,महाराष्ट्र, पावर ग्रिड एव NTPC लिमिटेड के अभियंताओ को चयनित किया गया परंतु विभाग में कोई उल्लेखनीय कार्य नही हुआ है। इसके अतिरिक्त गैर विभागीय/बाहरी अभियंताओ की नियुक्ति पर उनके वेतन-भत्ते,कार्यालय, चिकित्सा गाड़ियों आदि पर अतिरिक्त व्यय होता है जिसको बोझ अंततः विभाग औऱ उपभोक्ताओं पर पड़ता है।
अभियन्ता संध ने मांग की है कि विभागीय अभियंताओ पर पूर्ण विश्वास करते हुए उनकी विभागीय कार्यप्रणाली एवं भौगोलिक संरचना का पूर्ण ज्ञान होने का लाभ लेते हुए उनका चयन निदेशक पदों पर किया जाना चाहियें इससे जहां विभाग से जुड़ाव होने से विभाग की उन्नति होगी वही नये अभियंताओ को अपने सेवाकाल में भविष्य में उच्च पदों पर जाने हेतु अच्छे कार्य करने की प्रेरणा मिलेगी।
महासचिव ने अनुरोध किया है कि ऊर्जा निगमो में बेहतर कार्य प्रणाली स्थापित करने के लिए ऊर्जा निगमो के समस्त निदेशक के पदों पर विभाग के अभियंताओ का ही चयन किया जाये जिससे विभाग पर अतिरिक्त वित्तीय भर न आये एवं विभागीय कार्यप्रणाली और प्रशासनिक कार्य दक्षता भी प्रभावित न होने पाये।